शिव के जन्म की कहानी – वैसे तो हमारे प्राचीन वेदों में भगवान शिव का निराकार रूप बताया गया है लेकिन पुराणों में शिव के रूप के उल्लेख के साथ ही उनके जन्म की कहानी भी है.
आज हम आपको भगवान शिव के जन्म की कहानी बताने जा रहे है. अलग-अलग पुराणों में भगवान शिव के जन्म की कई कथाएं प्रचलित है, जबकि शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को स्वयंभू मतलब ‘सेल्फ बोर्न’ माना गया है.
शिव के जन्म की कहानी –
शिव पुराण के अनुसार एक बार जब भगवान शिव अपने टखने पर अमृत मल रहे थे तब उससे भगवान विष्णु पैदा हुए जबकि विष्णु पुराण में कहा गया है कि ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए, जबकि शिव माथे के तेज से उत्पन्न बताये गए है.
लेकिन श्रीमदभगवत गीता के अनुसार शिव के जन्म की कहानी अलग ही है.
इसमें बताया गया है कि एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा दोनों में एक-दूसरे को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ाई हो गई तब अचानक एक जलते हुए खम्भे से भगवान शिव प्रकट हुए. वहीं विष्णु पुराण में शिव के जन्म की कहानी और उनके बाल रूप का भी वर्णन है जिसके अनुसार ब्रह्मा को एक बच्चे की जरूरत थी. तब उन्होंने बच्चे के लिए तपस्या की, तब अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हो गए. जब ब्रह्मा ने उस बच्चे से रोने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि उनका नाम ब्रह्मा नहीं है इसलिए वे रो रहे है.
तब ब्रह्मा ने रोते हुए बालक शिव का नाम रूद्र रख दिया जिसका अर्थ होता है ‘रोने वाला’. लेकिन शिव तब भी चुप नहीं हुए तब ब्रह्मा ने उनको दूसरा नाम दिया लेकिन इस बार भी शिव को नाम पसंद नहीं आया और वे फिर भी चुप नहीं हुए. तब ब्रह्मा उनका हर बार नया नाम रखते जा रहे थे इस तरह ब्रह्मा ने शिव के आठ नाम रख दिए जिसमे रूद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव थे शिव पुराण के अनुसार ये सभी आठ नाम पृथ्वी पर लिखे गए थे.
शिव के ब्रह्मा पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी विष्णु पुराण की एक पौराणिक कथा है.
इस कथा के अनुसार जब धरती पर जीव की उत्पत्ति नहीं हुई थी तब आकाश, पाताल और पूरा ब्रह्मांड जलमग्न हुआ करता था, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सिवा कोई भी देवता अस्तित्व में नहीं था. विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे हुए नज़र आये, तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए ब्रह्मा विष्णु जब सृष्टि की रचना की बात कर रहे थे तभी भगवान शिव प्रकट हुए. लेकिन ब्रह्मा ने शिव को पहचानने से इनकार कर दिया, तब विष्णु ने दिव्य दृष्टि प्रदान कर ब्रह्मा को शिव की याद दिलाई.
ब्रह्मा ने शिव से क्षमा मांगते हुए उनसे अपने पुत्र के रूप में पैदा होने का आशीर्वाद माँगा. कालांतर में जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना करना चाही तो उन्हें एक बच्चे की जरूरत पड़ी तब उन्होंने तपस्या की और भगवान शिव बच्चे के रूप में उनकी गोद में प्रकट हो गए.
ये है शिव के जन्म की कहानी – वैसे तो भगवान शिव निराकार है लेकिन वेद और पुराणों के साथ ही भगवद्गीता में उनके जन्म की कुछ कथाएं प्रचलित है, इन प्रचलित कथाओं का उल्लेख आपको पुराणों में मिल जाएगा.
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