इसी तरह भगवान् शिव के कंधे के करीब बायीं ओर अग्नि दिखाई देती हैं, जिसे विनाश का प्रतीक कहा जाता हैं.
इस अग्नि का यह प्रतीक हैं कि अप्रिय सर्जना को इस अग्नि से नष्ट कर दीजियें. इसी तरह भगवान शिव का दूसरा उठा हुआ हाथ और एक पैर स्वतंत्रता और उठान का प्रतीक हैं और भगवान् शिव का लयबद्ध होकर अपनी गति में नृत्य करना यही बताता हैं कि जीवन गति के बिना कुछ नहीं हैं, लेकिन गति में भी लय होना आवश्यक हैं ताकि गति नियंत्रण में रहे.
भगवान शिव का नटराज रूप धारण कर उनके द्वारा किया गया तांडव नृत्य अज्ञानता और अहंकार पर विजय के प्रतीक के रूप में दिखाया गया हैं और हिन्दू धर्म में भोलेनाथ की इस विचारधारा को जीवन में उतारने की सलाह भी दी जाती हैं.