आप सब ने भगवान् शिव के नटराज स्वरूप को देखा ही हैं, जिसमे वह एक बौने राक्षस के उपर बिलकुल मंत्रमुग्ध होकर नृत्य कर रहे हैं.
इस मुद्रा में उस बौने राक्षस को अज्ञानता का प्रतीक माना गया हैं और अपनी इसी अज्ञानता पर विजय प्राप्त करना ही हर प्राणी का लक्ष्य होना चाहियें और यही आनंदम तांडव कहा जाता हैं.