जहाँ भगवान् शंकर के हरिहर स्वरूप की उत्पत्ति शैव सम्प्रदाय और वैष्णव सम्प्रदाय के बीच हुए विवादों के निपटारें के लिए हई थी, वही भोलेनाथ द्वारा धारण किये गए अर्धनारेश्वर अवतार को धारण कर भगवान् शिव लोगो को यह बताने चाहते थे कि नर-नारी दोनों एकदुसरे के पूरक हैं, दोनों को एकदूसरे की ज़रूरत समान रूप से हैं क्योकि दोनों एकसाथ रहकर ही स्वयं को पूर्ण कर पाते हैं.
इसी तरह भगवान् शिव का एक रूप नटराज हर जगह पूजनीय और सर्वमान्य हैं.