नशा करने वाले लोगों को जब कोई नशा छोड़ने के लिए बोलता है तो वह तुरंत बोलता है कि भगवान शिव भी तो नशा लेते हैं.
अब तो ऐसा चलन बन गया है कि भगवान शिव भक्त बिना नशे के रह ही नहीं सकता है.
भगवान शिव और नशा – अब आप ही देखिये कि भांग, अफीम, चरस और गांजा सभी चीजें भगवान शिव से जोड़ दी गयी हैं. कई संत समूह भी खूब नशे करते हैं और शिव का प्रसाद समझकर, उन चीजों का प्रयोग करते हैं जो ड्रग्स हैं.
इस लिहाज से देखा जाये तो भगवान शिव ड्रग्स लेते थे.
आपको सुनकर जरूर गुस्सा आ रहा होगा, लेकिन आप इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें, तब आप समझ जायेंगे कि हम कहना क्या चाहते हैं.
शिव के प्रिय हैं यह प्रसाद
देश में शिव भगवान के कई मंदिर हैं जहाँ शराब, भगवान शिव को चढ़ाई जाती है. ऐसे एक नहीं कई मंदिर हैं. अब भगवान शिव को भांग और धतूरा जो अर्पित किया जाता है, वह भी एक नशा है और देश के हर मंदिर में यह प्रसाद भगवान को दिया जाता है. राजस्थान की कई घुम्मकड जातियां तो यह भी कहती हैं कि शिव भगवान को गांजा भी चढ़ाया जाता है.
तो शिव क्या ड्रग्स लेते हैं?
अब अगर भगवान शिव को यह सभी चीजें अर्पित की जा रही हैं तो निश्चित रूप से भगवान शिव को यह चीजें पसंद हैं और अगर शिव इन चीजों का इस्तेमाल करते हैं तो वह तो एक तरह से ड्रग्स लेते हैं. भगवान शिव को तो वैसे भी हमने कुछ इसी रूप में देखा है.
लेकिन आज तक शिव को नहीं समझ पाए हम
अब आखिर में मुद्दे की बात करते हैं. ऊपर हमने शिव को ड्रग्स लेने वाला इसलिए बोला है क्योकि आप लोग शिव का नाम लेकर ही नशा करते हो और ड्रग्स लेते हो. असल में शिव भगवान ने दुनिया का जहर पीया है. अब आपको यह समझना होगा कि शिव योगी हैं और हम मात्र भोगी हैं. आइये इसको समझने का प्रयास करते हैं-
जब शिव ने समुद्र मंथन का जहर पीया था
सभी देवता और असुरों को पता था कि समुद्र मंथन के समय समुद्र से जहर भी निकलेगा और यह जहर सृष्टि को हानि पहुँचायेगा तो तब भगवान शिव ने मानव जाति की भलाई के लिए जहर पी लिया था.
इसके बाद सावन का दूध
सावन के महीने में दूध अपने गुणों के कारण, इंसान के लिए उस समय जहर होता है और इसलिए सावन में शिव भगवान को दूध चढ़ाया जाता है.
भगवान शिव और नशा – अब बात करते हैं भांग और दूसरे नशों की
ऐसा जिक्र आता है कि एक बार आदि शंकराचार्य जी देश के भ्रमण पर निकले हुए थे और एक जगह उनको कुछ शराबी शराब पीते हुए दिखे. शंकराचार्य जी यहाँ रूके और कुछ देर तक इन लोगों की हालत देखते रहे. तभी शंकराचार्य जी इन लोगों के पास गये हो शराब का कटोरा मुंह से लगाकर पी जाते हैं. अब जब इनके भक्तों ने यह देखा तो वह भी शराब पीने की जिद करने लगे. भक्तों के अनुसार जब भगवान यह काम कर सकते हैं तो भक्त भी कर सकते हैं.
तभी शंकराचार्य एक लुहार की दूकान पर जाते हैं और गर्म लोहे लेकर खा जाते हैं और भक्त यह देख समझ जाते हैं कि यह काम हम नहीं कर सकते हैं.
असल में भगवान हमारा जहर पीते हैं.
शिव भगवान भी इंसान को यही सन्देश देते हैं कि जो वस्तु मेरे भक्तों के लिए जहर है, वह मैं पी लूंगा और तुम लोग मेरी गलत चीजों को मत उपयोग में लाओ.
भगवान शिव और नशा – शिव हैं योगी और हम हैं भोगी
भगवान शिव नशा नहीं करते हैं और ना ही ड्रग्स लेते हैं.
असल में योगी भगवान तो मानव जाति का जहर पीते हैं. हम लोग मानव भोगी हैं और हर चीज मजे के लिए उपयोग में लाते हैं. ऐसा कोई नशा नहीं है जिसे पीने के बाद इंसान का खुद से काबू ना हट जाता हो. जब कि भगवान सालों तक योग और ध्यान में रहते हुए, सारे नशे झेल जाते हैं.
इसलिए यदि आप नशा करते वक़्त यह बोलते हैं कि यह नशा तो शिव का नशा है तो आप गलत हैं.
भगवान शिव और नशा – ये बात शक्य है ही नहीं – शिव खुद अपने भक्तों का जहर पीते हैं और आज इंसान शिव को नशा करने वाला बोलता है और असल में शिव तो इस दुनिया का जहर पी रहे हैं.
भगवान शिव और नशा, इसका मतलब कुछ और ही है – भगवान शिव असल में योगी हैं और हम सब सिर्फ और सिर्फ भोगी हैं.
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