त्रेता युग में भगवान विष्णु ने मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के रुप में अवतार लिया था. रामायण की पौराणिक कथा के अनुसार दशानन रावण ने माता सिता का अपहरण कर लिया था और उन्हें छुड़ाने के लिए भगवान राम को रावण का वध करना पड़ा.
रावण बहुत ज्ञानी था उसे सभी वेदों और शास्त्रों का ज्ञान था इसके साथ ही वो ब्राह्मण भी था. इसलिए रावण की हत्या करने पर भगवान श्रीराम पर ब्रह्महत्या का पाप लग गया.
इस लेख के जरिए हम आपको उन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनको लेकर मान्यता है कि भगवान श्रीराम को इन्हीं स्थानों पर ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली थी.
1- हरियाणा का कपाल मोचन सरोवर
स्कंद पुराण के अनुसार हरियाणा का कपाल मोचन तीर्थ बहुत ही प्राचीन और ब्रह्महत्या नाशक तीर्थ स्थल है जहां लोग अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं.
दंत कथाओं के अनुसार त्रेता युग में जब भगवान राम ने रावण का वध किया तो उनपर ब्रह्महत्या का पाप लगा था और रावण के वध के बाद श्रीराम ने माता सीता व लक्ष्मण सहित हरियाणा के इस कपाल मोचन सरोवर में स्नान किया जिसके बाद उन्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली. बताया जाता है कि जहां पर वह भगवान राम ठहरे थे, वहां उन्होंने एक कुंड का निर्माण करवाया था जिसे आज सूरज कुंड के नाम से जाना जाता है.
आपको बता दें कि कपाल मोचन सरोवर के नजदीक ही ऋण मोचन तालाब है जिसको लेकर मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से मनुष्य अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है.
ऐसी मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि महाभारत युद्ध में मारे गए गुरुजनों एवं प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए कोई स्थान बताएं. तब भगवान श्रीकृष्ण ने यहां पांडवों के पूर्वजों का पिंड दान करवाया जिसके बाद पांडव पितृ ऋण से मुक्त हुए. पितृ ऋण से मुक्त होने के कारण यह सरोवर ऋण मोचन के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
2- सुल्तानपुर का धोपाप धाम
उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर में वाराणसी-लखनऊ नेशनल हाइवे पर गोमती नदी के किनारे लंबुआ में स्थित धोपाप धाम में हर साल गंगा दशहरे के पावन अवसर पर हजारों की तादाद में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
मान्यता है कि कि गंगा दशहरे के दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने रावण का वध करने के उपरांत धोपाप धाम में ही स्नान करके अपने ऊपर लगे ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाई थी.
पद्म पुराण के अनुसार रावण का वध करने के बाद भगवान राम पर लगे ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए गुरु वशिष्ठ ने उन्हें गोमती नदी के इस पावन जल में डुबकी लगाने का सुझाव दिया था.
ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसी स्थान पर आकर भगवान राम ने स्नान किया था और अपने ऊपर लगे ब्रह्महत्या के पाप को धोया था. तब से यह पावन स्थल धोपाप धाम के नाम से मशहूर हो गया.
3- तमिलनाडु का रामनथपुरम्
रामायण की पौराणिक गाथा के अनुसार लंकापति रावण के वध के बाद जब श्रीराम पर ब्रह्महत्या का पाप लग गया तब ऋषियों ने श्रीराम को इस पाप से मुक्त होने के लिए प्रायश्चित करने को कहा.
ऋषियों ने श्रीराम को सुझाव दिया कि वो भगवान शिव का एक ज्योतिर्लिंग स्थापित करके उसका अभिषेक करें. जिसके बाद श्रीराम ने हनुमान को कैलाश पर्वत जाकर भगवान शिव की मूर्ति लाने के लिए कहा लेकिन कैलाश पर्वत पर जाने के बाद हनुमान को शिवजी की कोई मूर्ति नहीं दिखाई दी.
जिसके बाद हनुमान भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए वहीं तप करने लगे और वो समय पर श्रीराम के पास नहीं पहुंचे. हनुमान के वापस लौटने में देरी होने पर ऋषियों ने श्रीराम से माता सीता के हाथों से बनाए गए बालू के शिवलिंग को स्थापित करके उसकी पूजा-अर्चना करने के लिए कहा.
श्रीराम ने बालू से बने हुए उस शिवलिंग को तमिलनाडु के रामनाथपुरम् में स्थापित किया और उसकी पूजा-अर्चना की, जिसके बाद वो ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हुए. श्रीराम द्वारा स्थापित किए गए इस शिवलिंग को आज भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के रुप में जाना जाता है.
गौरतलब है भारत के इन तीन पावन स्थलो को आज भी मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम से जोड़कर देखा जाता है और मान्यता है कि इन्हीं स्थानों पर भगवान राम को रावण के वध के बाद ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली थी.
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