इतिहास

अगर हनुमान से यह भूल न होती तो बच सकती थी भगवान श्रीराम की जान

भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण की मृत्यु सरयू में जल समाधि लेने के कारण हुई थी.

भगवान राम ने जानबूझकर ऐसी परिस्थिति पैदा की थी ताकि वे इस संसार को छोड़ सकें. इसके लिए उन्होंने सबसे पहले जो काम किया था वह यह कि हनुमान को अयोध्या से दूर कर दिया. अगर हनुमान को राम की इस योजना के बारे में पता चल जाता तो वे कभी अयोध्या छोड़कर नहीं जाते और उनके रहते काल के देवता अयोध्या में प्रवेश नहीं कर सकता थे.

हनुमान ने श्रीराम की रक्षा की जिम्मेवारी खुद अपने कंधों पर ले रखी थी.

राम को पता था कि काल के देवता उनसे मिलने आने वाले हैं. उन्होंने हनुमान को खुद से दूर करने के लिए एक युक्ति निकाली. उन्होंने अपनी एक अंगुठी फर्श के एक दरार में डाल दी और हनुमान को वह अंगूठी ढ़ूंढ़ने की आज्ञा दी. हनुमान ने अंगूठी निकालने के लिए अपना आकार दरार जितना ही बड़ा कर लिया और उसमे समा गए.

दरार में प्रवेश करने के बाद हनुमान को पता चला कि यह कोई साधारण दरार नहीं है क्योंकि वह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी. हनुमान उस दरार में गहरा समाते गए और कई दिनों तक सफर करने के बाद नागलोक पहुंचे.

इधर काल के देवता एक वृद्ध संत का भेष धरकर राम से मिलने आए.

राम ने लक्ष्मण को आदेश दिया कि जबतक वृद्ध संत से उनकी वार्तालाप समाप्त न हो तबतक कोई विघ्न न डाले और ऐसा करने वाले को मृत्युदंड दिया जाए. राम की आज्ञा पाकर लक्ष्मण बाहर पहरा देने लगे पर तभी वहां अपनी क्रोध के लिए मशहूर दुर्वासा ऋषि आ पहुंचे. राम से तत्काल मिलने पर मना किए जाने पर उन्होंने श्रीराम को श्राप देने की धमकी दे डाली. भाई राम को ऋषि के श्राप से बचाने के लिए लक्ष्मण ने स्वंय ही मृत्युदंड का वरण करना उचित समझा.

वे उस कक्ष में प्रवेश कर गए जहां राम उस वृद्ध संत से वार्ता कर रहे थे.

भाई से स्नेह के कारण राम ने उन्हें मृत्युदंड तो नहीं  दिया पर देश से निर्वासित जरूर कर दिया.

लक्ष्मण को राम से अलग होकर एक क्षण भी जीना मंजूर नहीं था और वे सरयू में जाकर जल समाधि ले लिए. लक्ष्मण से बिछड़ने के बाद उदास श्रीराम ने भी कुछ दिनों बाद जाकर सरयू नदी में जल समाधि ले लिया.

इधर हनुमान ने नागलोक के राज वासुकि को राम की खोई हुई अंगूठी के बारे में बताया. वासुकि ने हनुमान को अंगूठियों का एक विशाल पहाड़ दिखाते हुए कहा कि वहां राम की अंगूठी मिल जाएगी. हनुमान सोच में पड़ गए कि इस अंगूठियों के पहाड़ से वे राम की अंगूठी कैसे खोजें. उन्होंने आगे बढ़कर एक अंगूठी उठाई और पाया की वह श्रीराम की ही है. उन्होंने जब दूसरी अंगूठी उठाई तो वह भी राम की ही निकलीं. हनुमान ने पाया कि वहां मौजूद सभी अंगूठियां राम की ही हैं. हनुमान को यह समझते हुए देर न लगी कि यह सब भगवान राम की ही रची हुई लीला है.

वासुकि ने आकर हनुमान को समझाया कि इस पृथ्वी पर जो भी आता है उसे एक दिन जाना पड़ता है.

हनुमान अब यह समझ चुके थे कि जबतक वे वापस अयोध्या पहुंचेंगे श्रीराम इस लोक को छोड़ का जा चुके होंगे. अगर हनुमान को राम के इस लीला की पहले भनक लग जाती तो वे अयोध्या छोड़कर कभी नहीं जाते और उनके अयोध्या में रहते काल देव नगर में प्रवेश नहीं कर पाते.

राम की इस लीला को समझने में बुद्धि के देवता हनुमान की इस चूक के कारण ही राम पृथ्वीलोक को छोड़कर जा पाए.

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