भगवान कृष्ण ने अपने चमत्कार समय-समय पर दिखाए हैं.
अगर आप मानते हैं कि कृष्ण मात्र एक व्यक्ति थे तो आप गलत हैं. कृष्ण मनुष्य रूप में भगवान थे. महाभारत के अंदर कई बार इस तरह के उदाहरण मिलते हैं जहाँ कृष्ण ने अपने चमत्कार दिखाए हैं.
ऐसा ही एक चमत्कार जब हुआ जब युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी के मरे हुए बच्चे का जन्म हुआ था. तब वहां कृष्ण ने अपने चमत्कार से उस बच्चे को नया जीवन दिया था.
आइये पढ़ते हैं उस पूरी कहानी कि क्या हुआ था जब अश्वत्थामा के कारण एक बच्चा पैदा हुआ था मरा हुआ-
परीक्षित के जन्म की कहानी याद है क्या आपको?
अश्वत्थामा ने अपना ब्रह्मास्त्र तब अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ की और मोड़ दिया था ताकि ये पूरा ही खत्म हो जाए. तब अगले दस माह बाद जब वह बालक मरा हुआ पैदा हुआ तो रनिवास में रुदन आरम्भ हो गया था.
भगवान श्रीकृष्ण को देखते ही वे उनके चरणों पर गिर पड़ीं और दहाड़ मार-मार कर विलाप करते हुए बोलीं- “हे जनार्दन! तुमने यह प्रतिज्ञा की थी कि यह बालक इस ब्रह्मास्त्र से मृत्यु को प्राप्त न होगा तथा साठ वर्ष तक जीवित रहकर धर्म का राज्य करेगा. किन्तु यह बालक तो मृतावस्था में पड़ा हुआ है. यह तुम्हारे पौत्र अभिमन्यु का बालक है.”
तब श्रीकृष्ण ने कहा- “पुत्री! शोक न करो. तुम्हारा यह पुत्र अभी जीवित होता है. मैंने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला है. सबके सामने मैंने प्रतिज्ञा की है वह अवश्य पूर्ण होगी. क्योकि ज्ञात हो कि जब जन्म से पहले बालक पर वार किया गया था तो कृष्ण ने बालक को जीवित होने का वरदान दिया था.
इतना कहकर श्रीकृष्ण ने उस बालक पर अपनी अमृतमयी दृष्टि डाली और बोले- “यदि मैंने कभी झूठ नहीं बोला है, सदा ब्रह्मचर्य व्रत का नियम से पालन किया है, युद्ध में कभी पीठ नहीं दिखाई है, मैंने कभी भूल से भी अधर्म नहीं किया है तो अभिमन्यु का यह मृत बालक जीवित हो जाये.” उनके इतना कहते ही वह बालक हाथ पैर हिलाते हुए रुदन करने लगा.
भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सत्य और धर्म के बल से ब्रह्मास्त्र को पीछे लौटाकर ब्रह्मलोक में भेज दिया.
इस कथा को आप महाभारत के अंतिम अध्यायों में पढ़ सकते हो.
कृष्ण के चमत्कार से परीक्षित का जन्म हुआ था और आज भी अगर कोई जीव भगवान से परेशानियों के खात्में के लिए दुआ करता है तो भगवान जरूर सुनते हैं.