सूर्यदेव के समझाने पर हनुमान विवाह करने को मान गए.
हनुमान विवाह सूर्यपुत्री सुर्वंचला के साथ संपन्न हुआ.
विवाह के उपरान्त सुर्वंचाला पुन: तपस्या में लीं हो गयी. हनुमान भी विवाहित माने गए इसलिए सूर्यदेव ने उनको शेष बची हुई 4 विद्याएँ सीखाई.इस प्रकार विवाह करके भी हनुमान ब्रह्मचारी ही रहे.
ये थी पाराशर सहिंता के अनुसार हनुमान विवाह की कथा. वैसे अधिकतर कथाओं और ग्रंथों में हनुमान को बाल ब्रह्मचारी कहा जाता है, लेकिन हनुमान को अविवाहित नहीं कहा जाता. शायद इसलिए ही पाराशर सहिंता में इस बात का वर्णन है कि विवाहित होकर भी हनुमान ब्रह्मचारी ही थे.