भगवान हनुमान के जन्म स्थान को लेकर शुरुआत से ही विवाद रहा है.
रामायण में भी इनके जन्म स्थान का कहीं विश्वसनीय जिक्र नहीं है. कोई कहता है कि हनुमान का जन्म स्थान नागपुर में है तो कोई कर्नाटक के कोप्पल को हनुमान का जन्म स्थान मानता है.
तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि आखिर हनुमान का जन्म स्थान कहाँ हैं-
पहले किष्किन्धा को जान लीजिये-
कर्नाटक के कोप्पल और बेल्लारी में एक जगह है जो अंजनी पर्वत के नाम से विख्यात है. इस जगह को किष्किन्धा भी बोला जाता है. यह अंजनी पर्वत इसीलिए ज्यादा मशहूर है क्योकि यहाँ हनुमान जी की माता जी ने हनुमान जन्म के लिए तपस्या की थी. अब जानकार लोग बताते हैं कि यह हनुमान का जन्म स्थान इसीलिए है क्योकि माता अंजनी जी ने यहाँ ही भगवान के जन्म की नींव रखी थी. किन्तु यह स्थान हनुमान का जन्म स्थान नहीं है.
तो यहाँ हुआ है हनुमान जन्म-
बड़े दुःख की बात है कि हनुमान का जन्म स्थान आज गुमनामी में दफ़न हो रहा है. झारखंड के गुमला जिला के पास एक पर्वत है जिसे हनुमान का जन्म स्थान बताया गया है. गुमले जिले से यह पर्वत कुछ 21 किमी दूर है इसे आंजन धाम बोला जाता है. गाँव का नाम ही आंजन है जो माता अंजनी के नाम पर रखा गया है. पर्वत के नीचे एक बड़ी गुफा है और बोला जाता है कि यहाँ पर हनुमान का जन्म हुआ है. माता अंजनी जी यहीं पर निवास करती थीं.
आप अगर यहाँ हनुमान जन्म के सबूत खोजना शुरू करेंगे तो आपको एक नहीं कई सबूत प्राप्त हो जायेंगे.
पहला सबूत है कि ऐसा बताया जाता है कि हनुमान जन्म से पहले माता अंजनी काफी सारे शिवलिंग की पूजा किया करती थीं. यह शिवलिंग नदी में स्थापित बताये जाते थे. आप अंजनी माता का इतिहास जब पढेंगे तो आपको इस तरह की जानकारी प्राप्त हो पायेगी. जब आप झारखण्ड के इस मंदिर में आते हैं तो आप देखेंगे कि गुफा के पास जो नदी है, वहां पर प्राचीन समय के कुछ 300 शिवलिंग मौजूद हैं.
माता अंजनी की गोद में हैं हनुमान-
यहाँ पर जो मंदिर है उसकी यही सबसे बड़ी खासियत है कि इस मंदिर में माता अंजनी की गोद में हनुमान हैं.
आज भी यहाँ कई साधू छुपकर तपस्या कर रहे हैं. गुफा की रखवाली एक सर्प कर रहा है. यह सर्प लोगों को गुफा के अन्दर जाने से रोकता है. वैसे यह गुफा आज बंद है. ऐसा कहा जाता है कि यहाँ के आदिवासी लोगों ने एक बार माता को बकरे की बली दे दी थी इस बात से माता अंजनी क्रोधित हो गयी थीं. तभी से यह गुफा बंद है ऐसा बताया जाता है.
आप यदि कभी यहाँ जाते हैं तो इस जगह की सकारात्मक शक्ति को महसूस करते ही समझ जायेंगे कि यह जगह कोई आम जगह नहीं है.
किन्तु दुःख इस बात का है कि हनुमान की इस जन्म स्थली की स्थिति वाकई दयनीय हो गयी है.