दूर्वा और मोदक – हर साल भगवान गणेश का आगमन भक्तों के घर 10 दिन के लिए होता है लेकिन इस बार गणपति बप्पा पूरे ग्यारह दिनों के लिए अपने भक्तों के बीच आ रहे हैं. इस बार गणेश चतुर्थी 25 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलेगी.
गणेशोत्सव के दौरान भक्त पूरे भक्ति भाव के साथ बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें तरह-तरह के भोग लगाते हैं. यहां तक कि किसी भी शुभ काम से पहले गणेशजी की पूजा का विधान है. भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रुप में पूजा जाता है.
अब जब बप्पा अपने भक्तों के बीच पहुंच ही रहे हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक क्यों अर्पित किया जाता है –
दूर्वा और मोदक –
इसलिए गणेशजी को चढ़ाई जाती है दूर्वा
भगवान गणेश एकमात्र ऐसे देव हैं जिनको दूर्वा यानी दूब चढ़ाई जाती है. दूर्वा गणेशजी को बेहद प्रिय है. 21 दूर्वा को इकट्ठा करके एक गांठ बनाई जाती है और उसे गणेशजी के मस्तक पर चढ़ाया जाता है.
एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था. उस दैत्य की वजह से स्वर्गलोक और धरती पर कोहराम मचा हुआ था.
अनलासुर ऋषि-मुनियों और आम लोगों को जिंदा निगल जाता था. उस दैत्य से त्रस्त होकर देवराज इंद्र सहित सभी देवी-देवता और प्रमुख ऋषि-मुनि महादेव के पास अपनी गुहार लेकर पहुंचे. जिसके बाद शिवजी ने कहा कि अनुलासुर दैत्य का अंत सिर्फ भगवान गणेश ही कर सकते हैं.
जब भगवान गणेश ने अनलासुर को निगला तो उनके पेट में बहुत जलन होने लगी. तब उस जलन को शांत करने के लिए कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर श्रीगणेश को खाने के लिए दिया. तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने की ये परंपरा शुरू हुई.
इसलिए श्रीगणेश को मोदक है अतिप्रिय
वैसे हर देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग किस्म के प्रसाद का भोग लगाया जाता है. लेकिन प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को मोदक अतिप्रिय है.
मोदक का अर्थ होता हैं मोद यानी आनंद देने वाला, जिससे आनंद मिलता है. मोदक ज्ञान का प्रतीक है इसलिए यह ज्ञान के देवता गणेशजी को अतिप्रिय है.
मोदक बाहर से सख्त, भीतर से नरम और मिठास से भरा होता है. माना जाता है कि अगर वैसे ही घर का मुखिया ऊपर से सख्ती से नियमों का पालन करवाएं और भीतर से नरम रहकर पालन पोषण करे तो घर में सुख समृद्धि का वास होता है.
इस तरह से भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक अर्पित किया जाता है – आप भी भगवान गणेश को शीघ्र प्रसन्न करके उनकी असीम कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो फिर गणेशोत्सव के दौरान या फिर किसी भी शुभ काम को करने से पहले उन्हें दूर्वा चढ़ाएं और मोदक का भोग जरूर लगाएं.