दीर्घकालिन मंदी – पिछले दिनों से खबरों के हर मीडियम से, चाहे वो सोशल मीडिया हो या प्रिंट मीडिया या फिर डीजिटल, पीएनबी घोटाले और नीरव मोदी की खबरें आ रही हैं।
इसके साथ रोटोमैक घोटाला भी दो-तीन दिन में एक बार सुनने को मिल ही जाता है। ऐसे में अगर ये आसार लगाएं जाए कि बाजार में दीर्घकालिन मंदी आ सकती है कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसे ऐसे समझिए।
अभी कोई नहीं लगा सकता दीर्घकालिन मंदी के नुकसान का अनुमान
दीर्घकालिन मंदी –
अभी किसी को नहीं मालूम कि पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) घोटाला से बैंकिंग जगत को कितना नुकसान होने वाला है और कोई इसका अनुमान लगाने की स्थिति में भी नहीं है। सारी स्थिति लेट ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) से जुड़ी है जिसके बारे में किसी को नहीं मालूम कि उसमें और किन-किन बैंक का नाम शामिल है। इसके अलावा नीरव मोदी के किन-किन लोगों के साथ संपर्क थे और उसके साथ बिजनेस कर रहे थे। इन सब से परे अभी राजनीतिक असर दिखना भी बाकि है।
भारतीय बैंकों की हालत
खैर राजनीति की बात बाद में। पहले अर्थव्यवस्था की बात करते हैं। क्योंकि इन सब से इतर भारतीय बैंकों की हालत भी किसी से छिपी नहीं है। तीसरी तिमाही के नतीजे बताते हैं कि यह क्षेत्र घाटे में है और फंसा हुआ कर्ज बढ़ रहा है। पिछले दिनों जिन पांच सरकारी बैंकों ने मुनाफा होने की घोषणा की थी, पीएनबी उसमें से एक था। पीएनबी ने 230 करोड़ रुपये के मुनाफे की घोषणा की थी। जबकि नीरव मोदी घोटाला ही 11,300 करोड़ रुपये से कहीं ज्यादा है। ऐसे में साफ मालूम चलता है कि घोटाले की राशि मुनाफे की राशि से कई गुना ज्यादा है।
30,300 करोड़ रुपये का नुकसान
वहीं अन्य बैंकों ने भी नुकसान होने की बात मानी है। जिसमें एसबीआई ने 2,400 करोड़ रुपये के नुकसान होने की बात कही है जो देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक है। वहीं 16 सरकारी बैंकों ने कुल 18,900 करोड़ रुपये की नुकसान की बात कही है। ऐसे में जब 18,900 करोड़ रुपये में मोदी घोटाले के 11,300 करोड़ रुपये जोड़ते हैं तो कुल 30,300 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
वहीं आरबीआई की पिछली वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुमान के अनुसार सितंबर 2018 तक फंसा हुआ कर्ज सकल अग्रिम का 11 फीसदी हो सकता है। ये तब है जब हर किसी को मालूम है कि आंकड़ा अभी और बढ़ेगा। ऐसे में डर है कि कहीं सरकारी बैंकों को पुनर्पुंजीकरण के लिए दी जाने वाली 2.2 लाख करोड़ रुपये की प्रस्तावित राशि कम ना पड़ जाये। (जो कि कम पड़ेगी ही)।
निफ्टी में गिरावट
वहीं बजट के बाद से निफ्टी में 5.12 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। बिजनेस स्टेंडर्ड में आई रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग शेयरों में 7.56 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। ऐसे में पीएनबी और रोटोमैक घोटाले ने मिलकर बाजार में नकरात्मक असर डाला है। गत सप्ताह भारतीय एक्सचेंज में दुबई और सिंगापुर की कारोबारी पहुंच पर रोक लगी है जो कि अच्छा संदेश नहीं देता। रुपया यूरो की तुलना में 1.5 फीसदी कमजोर हुआ है। वहीं डॉलर और पाउंड के मुकाबले रुपया 0.46 और 0.2 कमजोर पड़ा है। ऐसे में घोटाले की रकम बढ़ती है और निफ्टी टूटता है तो बाजार में दीर्घकालिन मंदी से इंकार नहीं किया जा सकता।
ये है वजहें दीर्घकालिन मंदी की – अब तो आगे आने वाला समय ही बताएगा।
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