एकांत और अकेलेपन, शब्दकोष में ऐसे कई शब्द है जिसका मतलब एक है और अर्थ अनेक है !
जैसे एकांत और अकेलापन
हम अक्सर भूल कर बैठते है कि हम एकांत में है या अकेलापन महसूस कर रहे है.
चलिए देखते है एकांत और अकेलेपन के बीच का फर्क!
दरअसल जब भी एकांत होता है, तो हम अकेलेपन को एकांत समझ लेते है. ऐसे में हम अपने अकेलेपन को भरने के लिए तुरंत कुछ उपाय खोजने लगते है.
हम अखबार पढने लगते है, टीवी देखने लगते है, कुछ अच्छा सोचने की कोशिश करते है, कोई सपना देखने लगते है और जब कुछ नहीं सूझता तो सो जाते है. मगर अपने अकेलेपन को किसी भी तरह भर ही लेते है.
ऐसे में हम आपको बताना चाहते है कि अकेलेपन से लाख गुना अच्छा एकांत होता है.
आखिर कैसे ? आइए जानते है..
ध्यान रहे ! अकेलापन आपको हमेशा उदास रखता है और एकांत जीवन में आनंद लाता है.
अकेलापन
आप जब अकेले होते है तो जाहिर है कि कुछ सोचते होंगे. या किसी की याद ही आती होगी. हम जब किसी को याद करते है तो दुःख होता है. जब दुःख होता है तो कोई काम ठीक तरह से नहीं होता. कभी कभी दुःख में हमारा नुकसान भी हो जाता है. अकेलापन हमारे शरीर को थका देता है, मन उदास कर देता है. अकेलपन में हम कमज़ोर हो जाते है और मुरझाएं हुए पत्तो की तरह दीखते है.
एकांत
एकांत का मतलब है ईश्वर से मिलन.. मन की शांती और संतुष्ठी !
आप जब घड़ी भर भी एकांत में रहते है तो आपका रोआं रोआं आनंद से पुलकित हो उठता है. अगर आप योग करते है तो आपको एकांत का ज्ञात होना ही है. आप परेशान है तो अपनी आँखे बंद करिए और सिर्फ 5 मिनट ही ईश्वर को याद करिए लेकिन एकांत में.. यक़ीनन आपको एकांत का एहसास होगा.
ये था फर्क एकांत और अकेलेपन के बीच – आप समझ गए है तो खुशी आपसे ज्यादा दूर नहीं है.