लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक ही समय – देश जहाँ एक तरफ़ घोटाले और कालेधन की बात कर रहा है वहीं 31 दिसम्बर की रात को देश के प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में एक ज़ोरदार बात बोली है.
देश की मीडिया जहाँ इस बात से अनजान रह गयी है वहीं आपको बता दें कि देश के प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बोला है कि आने वाले दिनों में सभी राज्यों और केंद्र के चुनाव एक ही समय करा दिए जाएँ.
वैसे मोदी ने इस मुद्दे की तरफ़ जाने से पहले राजनैतिक दलों को भ्रष्टाचार से निकलने की भी बात बोली है.
आज जिस तरह से मोदी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक ही समय करने की बात रखी है उससे अब यह तो निश्चित हो गया है कि आने वाले समय में देश के अंदर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक ही समय कराएँ जाएँगे. लेकिन अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या साल 2019 में जो आम चुनाव होने वाले हैं उसमें जनता देश के प्रधानमंत्री के साथ-साथ राज्यों के मुख्यमंत्री को भी वोट देगी?
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक ही समय – क्या 2019 में सभी राज्य की सरकार बर्खास्त कर दी जाएँगी?
वैसे अब आपको हम बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी इस समय इस बात पर विचार कर रहे हैं कि किसी भी तरह से साल 2019 के लोकसभा चुनाव के समय ही देश के सभी राज्यों के चुनाव एक ही समय करा दिए जाएँ.
इससे देश को एक फ़ायदा तो यह होगा कि देश का धन और समय दोनों की बचत निश्चित रूप से हो जाएँगी.
दूसरी तरफ़ इससे बड़ा फ़ायदा देश की उस सरकार को होगा जो उस समय बेहतर स्थिति में होगा. मोदी ने बातों ही बातों में बोला है कि देश के सभी राजनैतिक दलों को इस तरफ़ सोचना चाहिए. किसी भी तरह से देश के अंदर सभी चुनावों को एक ही समय करा दिए जाए, इस बात पर बड़े स्तर पर विचार चल रहा है. आपकी जानकारी के लिए हम यह भी आपको बता दें कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को इस मुद्दे पर राज़ी भी कर लिया है. साथ ही साथ चुनाव आयोग को तो तैयारी करने का फ़रमान भी दिया जा चुका है.
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक ही समय करने के लिए चुनाव आयोग को दिया जा चुका है धन
आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि ख़ुद प्रधानमंत्री ने जब चुनाव आयोग से यह बात बोली कि क्या ऐसा हो सकता है कि देश के अंदर लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव एक समय पर करा दिए जाएँ?
तो चुनाव आयोग ने बस इतना ही बोला था कि उसको इस काम के लिए अधिक ईवीएम मशीनों की आवश्यकता होगी और मशीनों को ख़रीदने के लिए धन चाहिए. देश की सरकार ने इस सपने को पूरा कराने के लिए चुनाव आयोग को कुछ एक हज़ार करोड़ रूपैय भी दे दिए हैं. आपको जानकर यह भी हैरानी होगी कि एक साथ चुनाव कराने के लिए देश में 15 लाख मशीनों की ज़रूरत पड़ेगी. अगले 2 साल के अंदर चुनाव आयोग अगर इतनी मशीनें ख़रीद रहा है तो इससे यह तो निश्चित जैसा दिख रहा है कि साल 2019 में जो लोकसभा चुनाव होने हैं, उसी समय शायद राज्यों के चुनाव भी करा दिए जाएँ.
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक ही समय कराके धन बचाना है या मोदी-मोदी कराना है?
वैसे जिस तरह से मोदी कई बार इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि लोकसभा और राज्य सभा के चुनाव एक समय कराए जाएँ, उसको देखकर कुछ विशेष लोग भी बोल रहे हैं कि इसका बड़ा फ़ायदा मोदी को ही होने वाला है.
साल 2019 में अगले लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और यदि इसी समय सभी राज्यों की सरकारें गिरा दी जाएँ और चुनाव हो जाएँ तो शायद सारे भारत पर कमल का खिलना पक्का हो सकता है. वैसे भी मोदी का सपना है कि उनके कार्यकाल में देशभर के अंदर कमल खिल जाए. देश की जनता अभी मोदी और भाजपा के साथ है. लोकसभा में बहुमत होने के बावजूद भी अभी राज्यसभा के अंदर बहुमत नहीं है क्योंकि अभी कई राज्यों में भाजपा नहीं है.
किंतु यदि साल 2019 में सभी चुनाव एक साथ होते हैं तो मोदी अपने काम के दम पर भारत के आधे राज्यों में तो आ ही जाएँगे.
वैसे आपको यह तो पता ही होगा कि अगर देश के अंदर सारे चुनाव एक ही समय करा दिए जाएँ तो इससे देश का हज़ारों करोड़ों रुपय बच सकता है. भारत के अंदर अभी लोकसभा चुनाव होने में ही कुछ 10000 करोड़ रूपैय ख़र्च हो जाते हैं.
वहीं दूसरी तरफ़ अमेरिका के अंदर चुनाव में 8000 करोड ही ख़र्च होता है. इसके बाद भारत में विधानसभा चुनाव तो हर छह महीने बाद होते हैं और तब भी कुछ 3 हज़ार करोड़ एक राज्य में ख़र्च हो जाते हैं. इस हिसाब से भारत के लाखों करोड़ों रूपैय का तो चुनाव ही चुनाव होता है.
तो क्या इस धन का उपयोग देश के विकास में नहीं हो सकता है?
भारत के अंदर इस विषय पर पिछले कई सालों से बात तो चल रही थी किंतु मोदी देश का पहला ऐसा प्रधानमंत्री है जो इस विषय पर खुलकर इतना बोल रहा है.
आने वाले दिनों में यह तस्वीर साफ़ होने लगेगी कि क्या साल 2019 में सभी राज्यों की सरकार गिराकार, क्या एक ही साथ सारे चुनाव कराएँ जाएँगे या इस प्रकियाँ को पूरा होने में अभी और भी काफ़ी वक़्त लगेगा?