तो जनाब आप ने भुक्कड़ तो देखे ही होंगे!
जी हाँ, बात भुक्कड़ों की हो रही है!
ऐसे भुक्कड़ जिन्हें रेंगते सांप में भी बहता हुआ शहद नज़र आता है, और हाथ बढ़ा कर चाटने को होते हैं!
और वज़न की तो पूछिये ही मत, ऐसे बढ़ा जाता है जैसे महानगर की सड़क के बरसाती गड्ढे!
लेकिन क्या करें, खाना देखते ही ऐसे लार टपकने लगती है जैसे जन्मजात भूखे हैं, अगले और पिछले जनम की भूख का फैसला भी अभी कभी कर के ही छोड़ेंगे!
सुबह होते ही हाथ दातुन या ब्रश की तरफ नहीं, चॉकलेट की और बढ़ते हैं! फ्रिज की सारी जमा पूंजी चट कर जाएँगे फिर भी भूख ना मिटेगी! मतलब एक मिनट भी खाने के बिना चैन नहीं आता है!
एक सवाल है – आप ज़िंदा रहने के लिए खाते हो या खाने के लिए ज़िंदा रहते हो
घर में, दफ्तर में, सुबह और शाम में, भूख की धार पर ही खड़े रहते हैं, कुछ मिल जाए खाने को, इसी आस में पड़े रहते हैं! मगर मजाल है की झुक जाएँ, शर्मा जाएँ, मिज़ाज़ मानो एक दम कच्चा घड़ा, बेशर्मी के पुतले, खाना मिल जाए बस, इज़्ज़त जाती है तो जाए!
ऐसे महानुभावों की पत्नियाँ भी चौबीसों घंटे रसोईघर में पकाते पकाते ही जीवन बिता देती हैं, कभी गोभी के पकोड़े, कभी रेशमी पुलाव तो कभी लज़ीज़ गाजर का हलवा! बस पति को हुकम देते रहने की आदत हो जाती है! मोटे, तोंदियल, भारीभरकम हो जाएँगे, मगर लम्बी चौड़ी भूख का कोई ओर छोर नहीं पाएँगे!
सौ जनों का खाना खाते हैं, घरवाले बेचारे भूखे रह जाते हैं! और मीठे की बात करो तो 1-2 आइस्क्रीस ब्रिक में काम नहीं चलता, 10 के नीचे सांस नहीं लेते हैं!
लेकिन लपड़–झपड़ खाते रहने के जिस रास्ते से वो जीभ के स्वाद का स्वर्ग पाने की कोशिश करते हैं, नहीं जानते की वही रास्ता अक्सर नरक के द्वार पर जा कर खुलता है!
आईये आप को बताती हूँ कैसे!
- हर वक़्त हर दम बस खाते ही रहेंगे तो दुबले तो हरगिज़ नहीं रह सकते! कद्दू की तरह फूलेंगे ज़रूर!
- ज़्यादा खाना खाएंगे तो आप का शरीर हरदम काम पर लगा रहेगा उसे पचाने के लिए! और अगर शरीर को आराम नहीं मिलेगा तो बेचारा क्या करेगा? थकेगा और बीमार पड़ेगा!
- जितना ज़्यादा खाना आप अपने शरीर के सिस्टम में फेंकते जाएँगे, उतना ज़्यादा वेस्ट यानि की मल इकट्ठा होगा अंदर! और हर वक़्त तो बाथरूम नहीं जा सकते न आप, और हर वक़्त तो शरीर मलत्याग के लिए तैयार भी नहीं होता! नतीजा? आप चलते फिरते गैस के गोले बन कर रह जायेंगे, वो भी बद्बुदार गैस छोड़ते हुए! समझ रहे हैं न आप?
- ज़रुरत से तिगुना चौगुना खाना अगर आप अपने अंदर भरते जाएँगे तो शरीर तो मोटा होगा ही, साथ ही साथ बदन में थकान, सुस्ती और आलस घर कर जाएँगे! बस फिर तो हो ली नौकरी और हो लिया काम!
- मुहँ का स्वाद भी हमेशा कसैला रहेगा! जानते हैं क्यों? क्योंकि ज़्यादा खाना खाने से मुहँ में और जीभ के ऊपर खाने के जो कण हरदम बने रहते हैं, वो सड़ने लगते हैं, और सड़े हुए खाने का गन्दा स्वाद जीभ पर बना रहता है! और हाँ, सोचिये, ऐसे हालात में आप के मुहँ से कैसी दुर्गन्ध आती होगी, किस करना तो दूर, आप से बात करना भी लोगों के लिए असहनीय हो जाता होगा! भुक्कड़ लोगों की जीभ भी हमेशा गहरे भूरे या ग्रे रंग की नज़र आती है! जाइए, अब आईना देखिये, जीभ निकाल कर!
- ये वाला तो एक भयानक सपने की तरह है! भुक्कड़ों को पिम्पल्स बहुत ज़्यादा होते हैं! क्योंकि इतनी सारी चिकनाई और फैट्स डालते हैं शरीर में ठूस ठूस कर, कहीं से तो निकलेंगे न! और भी कई तरह की स्किन से जुडी बीमारियाँ होती हैं क्योंकि उनका पेट अक्सर अगड़म-बगड़म ही रहता है!
- भुक्कड़ों की आँखें अकसर बुझी बुझी और बेजान रहती हैं क्योंकि उनके खून में पित्त बहुत अधिक मात्रा में रहता है, जिस की वजह से आँखों का सफ़ेद हिस्सा हल्के हरे से रंग का हो जाता है!
- हाई ब्लडप्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, चिड़चिड़ापन, अकेलापन और अक्सर रुआंसे हो जाना, ऐसी भी कई झक्की बिमारियों से गुज़ारना पड़ता है मोटे भुक्कड़ों को!
तो जनाब ये थी लिस्ट, भुक्कड़ों के जंजाल की! क्या आप इस जंजाल में आलरेडी पड़ चुके हैं? या पड़ने वाले हैं? तो आप को पता तो चल ही गया होगा कि आप को क्या करना है!
अब आगे और मैं क्या कहूँ!
तो कहिये, आप ज़िंदा रहने के लिए खाते हैं या खाने के लिए ज़िंदा रहते हैं?