हिंदुस्तान में पश्चिमीकरण अब महानगरों तक सीमित नहीं रहा.
ख़ास करके लिव इन रिलेशन की संस्कृति जो केवल मेट्रो शहरों में ही दिखाई देती थी.
लेकिन समय इतना बदल गया है कि यही संस्कृति जिसे गांव खेडो में एक पाप कहते थे. आज वही गांव के लोग लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता भी देते नज़र आये है.
आश्चर्य तो यह जानकर होता है कि लिव इन रिलेशनशिप में २ महिलाओं के साथ एक मर्द साथ रह रहा था.
गांव में अगर कोई लड़की सडक पर चलते समय किसी लड़के से हस कर बात करती है, तो उसके चरित्र पर उंगली उठने लगती है.
वही दूसरी तरफ गांव में ही कोई लिव इन रिलेशन में इस तरह रह रहा है उससे किसी कोई कोई शिकायत नहीं होती. यहा तक उनको शादी की सलाह देकर उनके ख़ुशी में शामिल भी हुए गांववाले.
कौन से गांव में लिव इन रिलेशन का जोडा मिला?
तीन साल पहले मध्य प्रदेश के पलासदा गांव की शर्मिला मंडलोई (२१) से रतु सिंह (२३) को प्यार हुआ. दोनों में प्यार इतना बढ़ गया कि आखिर उन्होंने साथ भागने का प्लान बनाया.
दुसरे गांव में एक घर लेकर साथ रहने लगे. दोनों भी आस पास कही मजदुरी का काम लेकर अपनी जरूरतों को पूरा करने में जुट गए.
इस तरह वो लिव इन रिलेशनशिप के दायरे में आ गए.
इस रिश्ते में वो माँ बाप भी बने. १ लड़का और एक लड़की को शर्मीला ने जन्म दिया. बावजूद इसके गांव के लोगों ने कोई नाराजगी नहीं जताई.
एक छत के निचे २ महिलाओं के साथ लिव इन रिलेशन
आज से एक साल पहले रतु को एक और लड़की से प्यार हुआ जहा वो मजदूरी करने जाता था.
अजंदा गांव की शर्मीला चौहान भी मेहनत मजदूरी का ही काम करती थी.
फिर वही प्यार का सिलसिला दोनों में शुरू हो गया. जैसे पुराना प्यार हुआ था.
जैसे ही प्यार के तीर आपस में टकराए और बराबर आग मन में जलने लगी. रतु ने उसे भी भगाया.
प्यार में चूर दोनों शर्मिलाओं को एकसाथ रहने में कोई दिक्कत नहीं थी. इस लिए वह २ शर्मिलाये और रतु लिव इन रिलेशन में एक छत के नीचे रहने लगे.
आखिरकार गांव बोल पड़ा
छोटी से छोटी बात का बतंगड़ बनाने वाले गांव के लोग आखिर कार यह लिव इन रिलेशनशिप को सहन नहीं कर पाए.
अपने बच्चे भी इस तरह बर्ताव ना करे इस लिए गाँव वालो ने रातू को समझाया
रतु को बुलाकर उसे गांव के बुजुर्गों ने समझाया कि, इस तरह तुम नहीं रह सकते. अगर तुम्हे समाज में इस रिश्ते को लेकर मान्यता चाहिए तो, शादी करनी पड़ेगी.
शादी नहीं करोगी तो तुम्हे समाज बहिष्कृत कर देगा.
समाज मान्यता के लिए की शादी
रतु को एहसास हुवा की समाज में स्थान मिलने पर उसका अधिक सम्मान होगा.
यही सोच कर इस साल की १२ मई को दोनों शर्मिलाओं से रतु ने एक ही मंडप में एक ही वक़्त शादी रचाई.
गांव के लोग भी इस शादी में उमड़ पड़े.
बुजुर्गों कि बात मान कर, सभी ने धूम धाम से शादी में शिरकत की.
कानून बना मूक दर्शक
किसी को इस शादी से कोई नाराज़गी नहीं थी. इस लिए कोई पुलिस के पास फ़रियाद लेकर नहीं गया.
यहा तक दोनों शर्मिलाओं ने कहा कि ‘हम दोनों बहनों की तरह मिल जुलकर रहती हैं. हम कभी एक दूसरे से नहीं झगड़ते और रतु सिंह भी दोनों का सम्मान बरकरार रखते हुए एक समान व्यवहार करते हैं. हम दोनों में कभी उन्होंने (रतु सिंह ने) भेदभाव नहीं किया.’
दरसल रतु और दोनों शर्मिलाये भिलाला समुदाय के आदिवासी है.
हिंदू विवाह अधिनियम के दायरे से दूर है, यही एक वजह है कि इस विवाह को गैर कानूनी नहीं कहा जा सकता है.
भिलाला समुदाय में १ से अधिक शादीयां हो सकती है. आदिवासी समाज में ऐसे विवाह की मान्यता आज की तारीख में भारत में है.
आखिर इस वाकिये से यह समझ आता कि प्यार करने वाले कैसे भी एक दूजे के साथ रहना पसंद करते है.
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