हमेशा कहा जाता है कि हम इंसानों में संवेदना बिलकुल खत्म हो चुकी है.
कितने प्यार से हम किसी भी जीव को मार कर खा जाते हैं. मात्र जुबान के स्वाद के लिए हम अक्सर नॉन-वेज खाते हैं.
अब आप उत्तरी वियतनाम में हुए, एक किस्से को पढ़िये.
ग्रामीण इलाकों में रहने वाली यह छोटी बच्ची पिछले 3 साल से अपने घर में एक कुत्ते को पाल रही थी. इस प्यारे से डॉग का नाम रखा गया था ‘फ्लावर’. फ्लावर घर में सभी का प्रियथा पर बच्ची के लिए मात्र यह एक कुत्ता नहीं था.
एक रात इस लड़की का पालतू कुत्ता (फ्लावर) रहस्यमय तरीके से गायब हो जाता है. बच्ची का मासूम दिल और मासूम सा यह फ्लावर, दोनों जुदा हो जाते हैं. आपको अब तक बेशक यह एक फ़िल्मी कहानी लग रही होगी पर, आप यदि दिल के कमजोर हैं, तो आपको शायद कहानी पढ़ने में दिक्कत होने वाली है.
उत्तरी वियतनाम में कुत्ते का मॉस खाया जाता है और यहाँ कुत्ते चोर, कुत्तों को चुरा ले जाते हैं. इस लड़की ने अपने कुत्ते को मीट-मंडी में ढूँढना शुरू किया. मंडी में खोजबीन के बीच ही अचानक बच्ची की नज़र एक बेचने के लिए रखे हुए एक कुत्ते पर पड़ती है जो फ्लावर ही होता है. पर अफ़सोस यह तब तक उबाल कर सेंक दिया जाता है और बेचने के लिए रख दिया जाता है.
अपने मरे कुत्ते को देख बच्ची फूट-फूट कर रोने लगती है. यहाँ जो भी इस सीन को देखता है वह खुद को रोने से नहीं रोक पाता है.
क्या कोई बतायेगा कि हमको यह अधिकार किसने दिया?
जीव हत्या किस धर्म में लिखी गयी है?
कहा बोला गया कि आप मासूम प्राणियों को मार कर खा सकते हो?
हाँ, इतिहास में कुछ जगहों पर यह देखा गया है, ज्यादातर आदिवासी कबीलों में. उसके पीछे का कारण यह था कि वहां जीने के लिए यही चीजें मिलती थीं. पर वहां भी अपने दुधारू एवम पालतू पशुओं को मारने की बातें नहीं की गयी.
आज इंसान के पास क्या नहीं है खाने को और फिर भी हम मॉस और जीव हत्या किये जा रहे हैं.
अपने भारत में तो हम धर्म के नाम पर कितनी जीव हत्या कर रहे हैं? कुछ मौकों पर बलिदान होता है, कई जगह गो हत्याएं हो रही हैं.
हम क्या इस छोटी बच्ची से कुछ सीख पायेंगे, क्या हम मानवता और अहिंसा का पाठ समझ पायेंगे?
आज तो वैसे सारे विश्व में ही मानवता का बलात्कार किया जा रहा है, जो सभ्य समाज के सभ्य लोग ही कर रहे हैं.