दिल से जुडी बातें, दिल की बातें, दिल की जाने या फिर दिल कहां किसी की सुनता है ये तो बस अपनी मर्जी का मालिक होता है।
दिल से जुडी बातें आपने अक्सर सुनी और पढ़ी होंगी, इनमें से कुछ पर आप यकीन भी करते होंगे तो वहीं कुछ आपने आज़माई भी होंगी।
यहां पर मुझे एक फिल्म का डायलॉग भी याद आता है जो कुछ इस तरह कहता है ‘दिल लेफ्ट में होता है पर हमेशा राइट होता है’, वैसे दिल हमेशा सही होता है या नहीं, इस बारे में सबकी अपनी-अपनी राय हो सकती है लेकिन हां, इतना ज़रूर है कि दिल अक्सर हमे सही राह दिखाता है।
हमारे दिल और दिमाग के बीच कईं मुद्दों, कईं लोगों को लेकर बहस चलती है, ज़िदंगी में अक्सर ऐसे मोड़ आते हैं जब दिल कुछ और कहता है तो दिमाग किसी अलग ही बात पर अड़ा होता है। ऐसा इसलिए भी क्योकि दिमाग किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले कई तर्क-वितर्क करता है, आगे पीछे की स्थिति को समझता है लेकिन हमारा दिल तो बस यूं ही किसी भी बात पर राज़ी हो जाता है तो कभी किसी बात या किसी इंसान के लाख अच्छा होने के बाद भी उससे जुड़ नहीं पाता।
कईं बार हमारा दिल किसी अजनबी को देखकर उसकी तरफ ऐसा खिंचा चला जाता है जैसे मानो कोई डोर है जो उसे उस तरफ खींच रही है तो कईं बार किसी अपने के साथ भी वो लगाव महसूस नहीं कर पाता जो इस दिल को चाहिए।
दिल के फंडे और फलसफे अपने आप में ही निराले हैं और इन्हे समझना जितना मुश्किल है उतना ही आसान भी है। वैसै कईं बार हमारा ये दिल जब यूं ही डरता है या फिर किसी इंसान पर भरोसा नहीं कर पा रहा होता, किसी आने वाली आहट से बेचैन होता है तो उस वक्त कुछ ना कुछ ऐसा ज़रूर होता है जो हमारे दिल को सही साबित कर देता है।
आपने भी कईं बार इस बात को महसूस किया होगा कि आप कहीं जा रहे होंगे या फिर किसी काम को शुरू करने वाले होंगे लेकिन अचानक से आपके दिल ने आपको ऐसा करने से रोक दिया होगा और बाद में आपको एहसास हुआ होगा कि आपके दिल ने उस वक्त आपको रोककर कितना अच्छा किया।
वैसे, दिल से जुडी बातें सुनने का एक फायदा ये भी है कि ये दिल सिर्फ खुशी तलाशता है, जहां हमारा दिमाग हर बात को फायदे-नुकसान,अच्छे-बुरे के तराजू पर तोलता है तो वहीं हमारा दिल बस खुशियां खोजता है और जिस भी राह पर उसे ये खुशी दिखती है वो उसी राह पर चल पड़ता है। बेशक उस राह पर चलकर कईं बार हमारे दिल को ठोकर भी मिलती है लेकिन फिर उन ठोंकरों से खुद को संभालने का हौंसला भी हमें हमारा दिल ही देता है।
कईं बार हमें ऐसा लगता है कि हमारे साफ दिल की वजह से लोग हमारा फायदा उठा रहे हैं या फिर हमे परेशान कर रहे हैं और फिर दिल करता है कि हम भी अपने दिल से मासूमियत की चादर उतार कर फेंक दे और इस पर समाज के दांव-पेंच का मटमैला रंग चढ़ा ले लेकिन ऐसा बिल्कुल मत कीजिए क्योकि आपके साफ और पाक दिल की क्या कीमत है ये अगर आप नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा।
दिल से जुडी बातें – अपने दिल की सुनिए और अपने दिल को प्यार, विश्वास, मासूमियत, सहानूभूति,इंसानियत के रंगों से रंगा हुआ रहने दीजिए।
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