भैंसे का मांस – पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शेरों के सामने संकट खड़ा हो गया है.
अब उन्हें पुराने मेन्यू के अनुसार खाना नहीं मिल पा रहा है.
जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के आदेश पर अवैध बूचड़खाने बंद किए जा रहे हैं उसकी मार इटावा स्थित लॉयन सफारी के शेरों पर भी पड़ रही है. शेरों को अब उनकी पसंद का पहला वाला भोजन नहीं मिल पा रहा है.
दरअसल, पहले इन शेरों को पेट भरने के लिए भैंसे का मांस दिया जाता था. लेकिन अब बदली परिस्थितियों में अवैध बूचड़खाने बंद होने के कारण इन्हें अन्य पशुओं का मांस दिया जा रहा है.
गौरतलब हो कि इटावा सफारी पार्क में 6 युवा और 2 शावकों समेत कुल आठ शेर हैं जिन्हें भोजन के रूप में भैंस के बच्चों का मांस दिया जाता था. लेकिन दो-तीन दिन से इस तरह की मांस की उपलब्धता न होने की वजह से शेरों और शावकों को बकरे और मुर्गे का मांस दिया जा रहा है.
आपको बता दें कि यह समस्या अकेले इटावा की ही नहीं है बल्कि लखनऊ और कानपुर स्थित चिड़ियाघरों के शेर भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. लॉयन सफारी में शेरों के लिए गोश्त सप्लाई करने वाले ठेकेदार का कहना है कि भैंसे का मांस न मिल पाने की वजह से शेरों के लिए हर दिन 50 किलो बकरे का गोश्त भेजा जा रहा है जिसे रोज दे पाना बड़ा मुश्किल हो रहा है.
ठेकेदार का कहना है कि ऐसा करने से उन्हें बहुत घाटा हो रहा है लेकिन शेर भूखे न मरें, इसलिए हम बकरे का गोश्त उपलब्ध करा रहे हैं. उनका कहना है कि राज्य सरकार कम से कम इन शेरों के लिए तो भैंसे का मांस उपलब्ध कराने की इजाजत देनी चाहिए.
वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि ठेकेदार से लेकर लॉयन सफारी के अधिकारी सब गुमराह कर रहे हैं.
शेरों का जायका कितना बिगड़ा है ये तो वही बता सकते हैं लेकिन ठेकदार और अधिकारियों का कमीशन जरूर खड़बड़ा गया है. होता क्या है कि पहले शेरों को पूरा का पूरा भैंसे का मीट ही दिया जाता था. जो कि बकरे और मुर्गे के मीट के अलावा बहुत सस्ता पड़ता था. लेकिन अब बदले हालात में यह उनकी मोटी बचत पर भारी पड़ रहा है.
इटावा समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव का गृह जनपद है. इसे पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए मुलायम सिंह यादव और बाद में अखिलेश यादव ने लॉयन सफारी का ड्रीम प्रोजेक्ट शुरू किया.
लेकिन अब जिस प्रकार लॉयन सफारी को लेकर खबरे सामने आ रही हैं उसका स्थानीय लोग भी मजा ले रहें हैं.
लोग कह रहें है कि समझदारी इसी में है कि शेरों को भी मांस त्यागकर शाकाहारी बन जाना चाहिए. क्योंकि योगी राज में मांस और मांसाहारियों के लिए कोई जगह नहीं है.