संतान की चाह हर दंपति को होती है.
जो लोग संतान पाने की चाह रखते हैं और डॉक्टरी इलाज के बावजूद भी जिनकी झोली अभी तक खाली है, उन लोगों को न तो घबराने की ज़रूरत है और न ही डॉक्टर के पास चक्कर लगाने की.
छत्तीसगढ़ की एक पहाड़ी पर मौजूद है देवी मां का अनोखा मंदिर, जिनके दरबार में निसंतान दंपत्तियों की संतान पाने की मुराद पूरी होती है.
इतना ही नहीं यहां विराजमान माता भविष्यवाणी करने के लिए भी काफी मशहूर हैं.
लिंगाई माता या शिवलिंग
छत्तीसगढ़ के फरसगांव विकासखंड में स्थित आलोर में एक पहाड़ी है और इस पहाड़ी पर एक छोटी सी गुफा के भीतर शिवलिंग के रुप में मौजूद है लिंगाई माता. तभी तो शिव व शक्ति के समन्वित स्वरूप को लिंगाई माता के नाम से जाना जाता है.
माता के इस मंदिर के दक्षिण दिशा में एक सुरंग है, जो इस मंदिर का प्रवेश द्वार है. ये द्वार इतना ज्यादा छोटा है कि यहां आनेवाले भक्त बैठकर या फिर लेटकर ही अंदर जा सकते हैं.
माता के मंदिर की गुफा भी इतनी छोटी है कि इसके अंदर सिर्फ 25 से 30 लोग ही बैठ सकते हैं. इस गुफा के भीतर चट्टान के बीचोंबीच एक शिवलिंग निकला हुआ है जिसकी ऊंचाई दो फुट बताई जाती है, जो लगातार बढ़ रही है.
साल में एक दिन के लिए खुलता है मंदिर
पुरानी परंपराओं और मान्यताओं के मुताबिक लिंगाई माता के इस प्राकृतिक मंदिर में रोज पूजा-पाठ नहीं किया जाता हैं. बल्कि पूरे साल भर में सिर्फ एक दिन के लिए इस मंदिर का द्वार आम भक्तों के लिए खुलता है और इसी दिन यहां मेला भी लगता है.
हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के बाद आनेवाले बुधवार को इस मंदिर के द्वार को खोल दिया जाता है. पूरे एक दिन तक खुले रहनेवाले इस मंदिर में दिनभर पूजा-अर्चना की जाती है और भारी तादाद में भक्त दर्शन करते हैं.
खीरा चढ़ाने से होती है संतान की प्राप्ति
इस मंदिर में आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु संतान प्राप्ति की इच्छा को लेकर दर्शन करने के लिए आते हैं. इस माता के निराले रुप की तरह ही यहां मन्नत मांगने का तरीका भी निराला है. संतान प्राप्ति की कामना करनेवाले दंपत्ति माता के दरबार में प्रसाद के रुप में खीरा चढ़ाते हैं. पूजा करने के बाद शिवलिंग के सामने ही इस खीरे को अपने नाखून से चीरा लगाकर दो टुकड़ों में तोड़कर इस प्रसाद को पति-पत्नी दोनों ही खाते हैं.
यहां विराजमान देवी करती हैं भविष्यवाणी
कहा जाता है कि लिंग के रुप में विराजमान माता भविष्यवाणी भी करती है लेकिन उनकी भविष्यवाणी करने का अंदाज भी अलग है.
साल में सिर्फ एक दिन खुलनेवाले इस मंदिर में पूजा करने के बाद मंदिर को बंद कर दिया जाता है और फिर मंदिर के बाहर सतह पर रेत बिछा दी जाती है.
अगले साल जब मंदिर के द्वार को फिर से खोलने का वक्त आता है तब इस रेत पर जो निशान मिलते हैं उससे पुजारी अगले साल के भविष्य का अनुमान लगाते हैं.
कहा जाता है कि अगर रेत पर कमल का निशान हो तो धन संपदा में बढ़ोत्तरी होती है. हाथी के पांव के निशान हो तो ये उन्नति को सूचक होता है. घोड़ों के खुर के निशान हों तो युद्ध, बाघ के पैर के निशान हों तो आतंक, बिल्ली के पैर के निशान हों तो भय तथा मुर्गियों के पैर के निशान होने पर अकाल होने का संकेत माना जाता है.
बढ़ रहा है लिंगाई माता का आकार
यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो इस गुफा के भीतर लिंगाई माता के रुप में विराजमान शिवलिंग का आकार पहले काफी छोटा था. लेकिन इसकी ऊंचाई लगातार बढ़ती जा रही है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है.
गौरतलब है जो लोग डॉक्टरी ईलाज से निराश होकर माता के इस दरबार में आते हैं वो अपनी मुरादों की झोली खुशियों से भरकर वापस लौटते हैं.
अब इसे चमत्कार कहें या अंधविश्वास, लेकिन इस मंदिर में आनेवाले निसंतान दंपत्तियों की तादात लगातार बढ़ रही है.