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आदिवासियों के ये फोटोज देखकर आपके जीने का नज़रिया बदल जायेगा

आदिवासियों का जीवन – भारत में आदिवासियों को हमेशा से ही नज़रअंदाज़ किया गया है। ना तो इनके पास कोई सुविधा है और ना ही कोई अधिकार।

इनकी जिंदगी बहुत ही ज्‍यादा मुश्किल होती है और सबसे खास बात तो ये है कि इनके अपने ही कानून और अनोखी प्रथाएं होती हैं जिनमें ये ना चाहते हुए भी बंधे होते हैं।

आपने कई बार आदिवासियों की अनोखी प्रथाओं और परंपराओं के बारे में सुना होगा लेकिन क्‍या आप इनके जीवन और उसमें आने वाली मुश्किलों के बारे में जानते हैं ?

अगर जान लेंगें तो शायद अपनी जिंदगी से शिकायत करना भूल जाएंगें।

जी हां, आज हम आपको आदिवासियों का जीवन और उसकी कुछ ऐसी तस्‍वीरें दिखाने जा रहे हैं जिन्‍हें देखकर शायद आपको अपनी जिंदगी से प्‍यार हो जाए।

आदिवासियों का जीवन –

इस तस्‍वीर में आप देख सकते हैं कि आदिवासी महिलाएं किस तरह रहती हैं। इनका ये रूप देखकर शायद आपको खुद को मिलने वाली सुख-सुविधाओं से प्‍यार हो जाए। इन महिलाओं के पास खुद को संवारने और निखारने के लिए कोई संसाधन नहीं है और शायद इन्‍हें तो ऐसी किसी चीज़ के बारे में पता भी ना हो।

एक नज़र जरा इन आदिवासी महिलाओं के पहनावे पर डालिए। जरा सोचिए अगर एक दिन के लिए भी आपको ऐसे अर्धनग्‍न वस्‍त्र पहनने के लि कहा जाए तो आप क्‍या करेंगें। किसी-किसी आदिवा‍सी प्रजाति में तो महिलाओं को नग्‍न होकर रहना पड़ता है या उन्‍हें अपने स्‍तन ढकने की इजाजत नहीं है।

ये तस्‍वीर छत्तीसगढ़ के गोंडवाना की है। यहां पर बच्‍चों को दो वक्‍त की रोटी तक नसीब नहीं हो पाती है। खाना मिलने पर इन बच्‍चों के चेहरे की मुस्‍कान को साफ देखा और महसूस किया जा सकता है लेकिन एक वक्‍त की रोटी खाने के बाद इन्‍हें ये तक पता नहीं होता कि इन्‍हें अगले वक्‍त खाना मिलेगा भी या नहीं।

इस तस्‍वीर की सच्‍चाई कुछ इस तरह है कि यहां पर बच्‍चों को शिक्षा और तालीम के नाम पर हथियार चलाना सिखाया जाता है। आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा का नामों-निशान तक नहीं है और ऐसे में किशोरावस्‍था में आते ही बच्‍चे गलत कामों लग जाते हैं।

आदिवासियों का जीवन भले ही बहुत कठिन होता हो लेकिन इन लोगों को मेहनत करने से डर नहीं लगता। दो वक्‍त की रोटी कमाने के लिए ये लोग ना जाने कितनी मेहनत करते हैं लेकिन कभी अपनी दशा को लेकर शिकायत करते नज़र नहीं आते हैं। इस तस्‍वीर में आप देख सकते हैं कि अधेड़ उम्र की महिलाएं भी दीवारों पर चित्र बनाकर रोजी रोटी कमाने में लगी हैं।

जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि आदिवासियों की अपनी ही प्रथाएं और त्‍योहार होते हैं। इनके त्‍योहारों का रंग कुछ अलग ही होता है और अगर एक बार आप इनका रंग देख लें तो शायद फिर कभी नहीं भूल पाएंगें। ये सभी लोग मिलकर एकजुट होकर अपने त्‍योहार मनाते हैं ना कि अपने-अपने घरों में बंद होकर।

आदिवासी क्षेत्रों की सबसे बड़ी समस्‍या गरीबी और इसे दूर करने के लिए किसी भी संसाधन का ना होना है। यहां के लोगों के पास दो वक्‍त की रोटी कमाने तक का कोई संसाधन नहीं है।

आदिवासियों का जीवन और तस्‍वीरें देखकर हम शहरों में रहने वाले लोगों को अपनी जिंदगी और ईश्‍वर का अहसान मानना चाहिए। भले ही हमें जीवन की सारी सुख-सुविधाएं मिल गईं हों लेकिन फिर भी हम संतुष्‍ट नहीं हैं लेकिल आदिवासी लोग अपने संघर्षमय जीवन से भी खुश और संतुष्‍ट रहते हैं।