बीते दिनों देश के अन्दर समलैंगिक लोगों ने ‘गे’ और ‘लेस्बियन’ रैली निकाली.
अच्छी बात यह थी कि एक लोकतान्त्रिक देश में गे और लेस्बियन लोगों को भी आवाज उठाने का अधिकार दिया गया.
लेकिन जब इस रैली को नजदीक से देखा गया तो साफ़ नजर आया कि यह LGBTQ लोग किसी एक ख़ास विचारधारा से प्रेरित थे.
खुलेआम समलैंगिक लोग भारत के प्रधानमंत्री का अपमान करते नजर आये और इस तरह से अपमान किया कि जैसे यह लोग सरकार के विरोध में कोई आन्दोलन कर रहे हों.
आइये आपको हम इस समलैंगिक रैली की कुछ ऐसी झलकियाँ दिखाते हैं जिनको देख साफ़ हो जायेगा कि यह गे और लेस्बियन भारत माता का अपमान कर रहे थे-
1. रैली में साफ़ तौर पर एक बैनर दिखा जिस पर लिखा था कि फवाद खान तुम वापस आओ. जी हाँ वही फवाद खान जिसने पाकिस्तान जाते ही अपना पाकिस्तानी रंग दिखाया था. पाकिस्तान की गोलियों से सैनिक शहीद हो रहे हैं और इस रैली की विचारधारा है कि फवाद खान तुम वापस आओ. शायद यही भारत का दुःख है कि भारत के अंदर एक विचारधारा इतनी लाल है कि वह सदा उल्टा चलना पसंद करती है.
2. समलैंगिक रैली में समलैंगिक लोगों को तो अपने अधिकारों की बात बोलनी चाहिए थी लेकिन यह रैली बागो में बहार का वह डायलोग लिख रही थी जिसे कुछ समय पहले वामपंथी गा रहे थे. इससे इस आयोजन की शुरुआत में ही लगने लगता है कि यह रैली किसी विचारधारा के संसाधनों से की जा रही है.
3. इस पोस्टर में यह नहीं लिखा है कि समलैंगिक लोगों को उनके अधिकार दो बल्कि योगा से नहीं होगा जैसी बात बोली है. इन समलैंगिक लोगों को पता नहीं है कि भारत का योग इस बार संयुक्त राष्ट्र समेत विश्वभर में घूमा है.
4. समलैंगिक रैली के अंदर जिस तरह के लोग शामिल थे वह एक ख़ास विचारधारा से प्रेरित थे. भारत और उसकी एकता वाली कोई भी बात इस रैली में नहीं की गयी थी. समलैंगिक लोग भी अगर भारत के सैनिकों का प्रोत्साहन करते नजर आते तो शायद वाकई अच्छा लगता.
5. असल में LGBTQ रैली के अंदर समलैंगिक लोगों ने अपने हक़ और अधिकारों की बात ही नहीं की है. बल्कि इनका ध्यान इस बार फवाद खान को भारत बुलाने पर, बाबा रामदेव को पाकिस्तान भेजने पर था.
6. प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की कई तरह की तस्वीरें बनाकर उनका विरोध किया जा रहा था. नोट बंदी पर भी इस LGBTQ रैली के अंदर कई लोग आवाज उठाते साफ़ नजर आ रहे थे.
7. कई लोग जिस तरह से समलैंगिक रैली में गो-मांस की बातें कर रहे थे उसको देखकर इस बार की समलैंगिक रैली काफी अलग नजर आ रही थी. कांग्रेस के समय 2जी घोटाले की कोई आवाज इस तरह की समलैंगिक रैली में नजर नहीं आती थी.
8. इस तरह से कई राष्ट्रविरोधी मुद्दों को इस गे और लेस्बियन रैली में देखा गया है. कश्मीर के मुद्दे ओअर भी सेना का विरोध इस रैली में हो रहा था. यह बातें वाकई हैरान करने वाली थीं.
इस तरह से साफ़ हो जाता है कि इस बार की समलैंगिक रैली लाल विचारों से ही प्रेरित थी.
समलैंगिक लोगों का ध्यान इस बार अपने अधिकारों पर कम था बल्कि सरकार का अलग तरह से विरोध किया जा रहा था जो आज तक कभी समलैंगिक लोगों ने इस तरह की परेड में नहीं किया था.
यकीन मानिये सड़क पर कई लोग इस रैली के मुद्दों को देखते ही आग बबूला हो रहे थे.
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