मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल – राजनीति में अपने कर्मों से ज्यादा दूसरों के कुकर्म गिनाये जाते है, ये बात सब जानते है।
लेकिन कभी कभी ये कर्मो और कुकर्मो की गिनती आपकी संस्कारों का स्तर दिखा देती है। आज किसी की मौत हो जाने पर नेता लोग शोक बाद में वयक्त करते है, उससे 10 गुना फास्ट स्पीड से वह उस पर राजनीति करते है।
नेता किसी भी मामले पर बयानबाजी करते समय यह पूरी तरह से भूल जाते है, कि वह जिस पद पर बैठे है- वहां वह एक समाज, एक राज्य और एक देश का प्रतिनिधित्व कर रहे है।
मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल – क्या है घटना…
मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल –
दरअसल पिछले दिनों अक्सर ये खबरें चर्चा का केन्द्र रही की भीड़ ने एक व्यक्ति को मौत के घाट सुला दिया। या फिर कुछ लोगों ने मिलकर एक महिला को बच्चा चोर समझकर बहुत मारा और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
ऐसी शर्मनाक घटनाओं पर सरकारे अपने प्रशासन पर शर्म करने से ज्याद दूसरे पर इल्ज़ाम लगाना जरूरी समझती है। इस दौरान कोई नेता इतिहास गिनाता है, तो कोई घटना को अपने संस्कारों पर आघात का कारण बताता है।
नोताओं के झोले से मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल –
मॉब लिंचिंग पर नेताओं के बिगड़े बोल – इन सभी ट्वीट और अपशब्दों से भरी नेताओं की झोली को मार्मिकता के दायरे में रखना बिल्कुल गलत होगा। आज ये बेहद जरूरी है कि नेता जितना समय राजनीति के साथ बिताते है उतना वक्त वह अपने अंदर की मानवता को जगाने में लगाये तो शायद देश का विकास ज्यादा अच्छे से होगा।
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