अदालत में किसी केस पर बहस करने वाले वकील काला कोट क्यों पहनते है?
इस बात का जवाब मिल गया है. शायद आपके के ज़हन में भी कभी इस तरह के सवाल जन्मे हो..
खैर, वकील काला कोट क्यों पहनते है? इसके जवाब में हमने वो 5 बातें ढूंढ निकाली है, जिसकी वजह से वकील काले रंग का कोट पहनते है, जो इस प्रकार है.
1. हमारे देश में काले रंग का ड्रेस कोड वकीलों के बीच अनुशाशन और आत्मविश्वास के होने का प्रतीक माना जाता है. इस ड्रेस कोट ने दूसरे प्रोफेशन की तुलना में वकीलों को अलग पहचान दी. इसलिए 1961 में भारत में एडवोकेट एक्ट नियम के तहत वकीलों के लिए काला कोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया.
2. चुकिं काले रंग को शोक का प्रतीक माना गया है, इसलिए इंग्लैंड में जब किंग चार्ल्स की मृत्यु हुई थी, तब उनकी शोक सभा में सभी वकील काले रंग का कोर्ट पहन कर आये थे. तब से भी वकीलों को काला कोर्ट अनिवार्य किया गया था. वैसे आपको बता दे कि इंग्लैंड में प्रोफेशन के लिए काला रंग बहुत ही लोकप्रिय है.
3. काले रंग को ताकत व अधिकार का प्रतीक माना गया है. काला रंग का संबंध आज्ञापालन, पेशी, अधीन करना भी है. इसलिए वकीलों को न्याय के अधीन माना गया है. अपनी शर्ट पर वकील जो सफ़ेद बैंड पहनते है, उसे पवित्रता और भोलेपन का प्रतीक कहा जाता है.
4. काला रंग दृष्टिहीनता का भी प्रतीक है. कानून को अँधा माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि दृष्टिहीन व्यक्ति कभी पक्षपात नहीं करता. इसलिए भी वकील काला कोट पहनते है. काले रंग का कोट पहनने के बाद वकील बिना कोई भेदभाव किए सच्चाई लिए लड़ता है.
5. काले रंग का साइंटिफिक रिजन भी है. काला रंग गर्म किरणों को सोखता है. कोर्ट में बहसबाजी के दौरान माहौल तो गर्म होता ही है, वकील भी पसीने से लतपत हो जाते है, ऐसे में गर्मी को सहन करने की शक्ति को बढ़ाने के लिए भी वकील काला कोट पहनते है.
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जय हिंद!