जम्मू कश्मीर संविधान की धाराएं – जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने हाल में जम्मू कश्मीर को लेकर टिप्पणी की है कि भारत में जम्मू कश्मीर का विलय सर्शत हुआ है और यह राज्य भारत का अभिन्न अंग नहीं है.
फारूख अब्दुल्ला सहित देश के जितने भी बुद्धिजीवी यह सोचते हैं भारत में जम्मू कश्मीर रियासत का विलय सर्शत हुआ है और यह राज्य भारत का अभिन्न अंग नहीं है, वे एक बार जम्मू कश्मीर राज्य का संविधान उठाकर जरूर पढ़ ले.
वर्ष 1951 में मौलाना मसूदी की अध्यक्षता में जिस संविधान सभा का गठन हुआ था उस सविंधान सभा ने 6 फरवरी 1954 को राज्य के भारत में विलय की पुष्टि की थी. उस सविंधान सभी के सभी 75 सदस्य इसी नेशनल कांफ्रेस के थे जिसके प्रमुख आज फारूख अब्दुल्ला हैं.
संविधान के अस्थाई अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर ने 26 जनवरी 1957 को राज्य के अपने जिस अलग संविधान को लागू किया है उसकी धारा 3 साफ साफ कहती है कि जम्मू कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा. यानी जो लोग जम्मू कश्मीर की सवैंधानिक स्थिति को लेकर सवाल खड़ा करते हैं उन्हें उस संविधान का ही ज्ञान नहीं है.
यही नहीं, जम्मू कश्मीर के संविधान की धारा 4 कहती है कि जम्मू कश्मीर राज्य का अर्थ वह भूभाग है जो 15 अगस्त 1947 तक राज्य के राजा के अधीन था. अर्थात पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू कश्मीर का भाग भी इसमें सम्मिलित हैं.
धारा 5 के अनुसार भारत के संविधान के अनुसार राज्य संबंधी जिन विषयों पर भारत की संसद कानून बनाने के लिए अधिकृत है उनको छोड़कर जम्मू कश्मीर सभी विषयों पर उसी प्रकार कानून बना सकता है जिस प्रकार देश के अन्य राज्य कानून निर्माण करते हैं.
इसी संविधान की धारा 147 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जम्मू कश्मीर राज्य अपने संविधान की धारा 3, धारा 5 और धारा 147 को कभी नहीं बदल सकता है.
मतलब साफ है – जम्मू कश्मीर संविधान की धाराएं कहती है कि जम्मू कश्मीर विधान सभा चाहकर भी कोई ऐसा कानून नहीं बना सकती है जो उसे भारत से अलग करता हो.
इतना ही नहीं, राज्य की विधानसभा के समक्ष चर्चा तो दूर ऐसा कोई विधेयक भी प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है.
जहां तक फारूख अब्दुल्ला का सवाल है तो वे शायद 1974 के उस समझौते को भी भूल रहे हैं जिसे उनके अब्बा जान ने उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ किया था. इस समझौत में शेख अब्दुल्ला ने यह स्वीकार किया था कि जम्मू कश्मीर राज्य भारतीय संघ का अविभाज्य अंग है.
अब सवाल रहा 1947 में जम्मू कश्मीर के भारत में अधिमिलन का तो भारतीय स्वाधीनता अधिनियम 1947 के अनुसार शासक द्वारा विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद उस पर आपत्ति करने का अधिकार पंडित नेहरू, माउंटबेटन, मोहम्मद अली जिन्ना, इंग्लैंड की महारानी और संसद के साथ संबंधित राज्य के निवासियों को भी नहीं था.
जम्मू कश्मीर संविधान की धाराएं बता रही है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है – इसलिए राज्य के संविधान की धारा 3 ,4, 5 और धारा 147 को एक बार सभी को गौर से पढ़ लेना चाहिए. खासकर फारूख अब्दुल्ला सहित देश विरोधी वे बुद्धिजीवी है जिनको जम्मू कश्मीर का भारत में विलय शर्तों में बंधा नजर आता है.
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