मीर वाइज उमर फारूख, यासीन मलिक, गिलानी और शब्बीर शाह आदि कश्मीर के ये वो पाकिस्तान परस्त अलगाववादी हैं जो घाटी में बद और पथराव का कैलेंडर जारी करते हैं.
लेकिन अब इन पर मौत की तलवार लटक रही है, क्योंकि पाकिस्तान से इनकी मौत का कैलेंडर जारी हो चुका है.
ये मौत का कैलेंडर जारी करने वाला कोई ओर आंतकी संगठन नहीं बल्कि पाकिस्तान के हाफिज सईद का पाकिस्तान का आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा है. वही हाफिज सईद जिससे मरने से पहले आतंकी बुरहान वानी बात करता है. वही सईद जिसके इशारे पर घाटी के अलगाववादी पैसे लेकर पत्थरबाजी करते हैं.
आपको बता दें कि भारत में आतंक फैलाने वाले पाकिस्तान का आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी के बीच दरार आ गई है. भारतीय खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के अनुसार दोनों के बीच कश्मीर में आतंक फैलाने को लेकर मतभेद हो गए हैं.
खबर है कि पाकिस्तान के पैसे और उसके इशारों पर काम करने वाले कश्मीर घाटी के अलगाववादी अब पाकिस्तान का आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आंतकियों के निशाने पर हैं. लश्कर कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को मारकर घाटी में अशांति फैलाना चाहता है. ताकि हिंसा फैलाई जा सके.
पाकिस्तान का आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के जकी-उर-रहमान लखवी को लगता है कि ऐसा करने से घाटी के लोगों का शक नरेंद्र मोदी सरकार पर जाएगा और इससे गुस्साए लोग बड़ी संख्या में घाटी की सड़को पर निकल कर भारत के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. इससे कश्मीर के मामाले को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जगह मिलेगी.
इसके अलावा उसने यह भी तय किया है कि अब भारत में होने वाले आतंकी हमलो की जिम्मेदारी लेने में वो अपने संगठन के नाम का उपयोग नहीं करेगा, क्योंकि इससे बार बार पाकिस्तान की ओर उंगली उठती है.
भारत द्वारा पाकिस्तान पर डलवाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते खुद को बचाए रखना जरूरी है इसलिए वो अपने देश से संचालित संगठन के नाम का उपयोग करने की बजाय किसी और नाम से कश्मीर में आंदोलन भड़काएगा.
खुफिया दस्तावेजों के अनुसार लश्कर के टॉप लीडरशिप ने कश्मीर में जारी हिंसा को लेकर तय किया है कि वह यहां के स्थानीय नेताओं की हत्याओं को भारत सरकार के उपर डालेगा. साथ ही वह घाटी में चल रहे किसी आंदोलन में अपने नाम का इस्तेमाल नहीं करेगा और इसे स्वदेशी समूहों द्वारा चलाया गया आंदोलन के रूप में प्रचारित करेगा.
खुफिया दस्तावेजों से मिली जानकारी के अनुसार, हिरासत में बंद जकी-उर-रहमान लखवी का हाफिज सईद के साथ कुछ मुद्दों पर मतभेद है. बताया जाता है कि अपने मिशन को अंजाम देने के लिए लखवी अपने अधिकतर वफादारों को पाक अधिकृत कश्मीर भेज चुका है.
इसके अलावा तहरीक-ए-मुजाहिदीन को पुनर्जीवित किया जा रहा है. इस संगठन का मुखिया जावेद मुंशी उर्फ बिल्पापा हाल में बेल पर जेल से निकला है. यह समूह अब कश्मीर के किसी अलगाववादी नेता की जान लेकर घाटी में अशांति फैलाने का काम कर सकता है.
ताकि आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से जिस तरह से कश्मीर के नौजवान उसके समर्थन में आए थे ठीक इसी प्रकार कश्मीर के नौजवान इस बार भारत सरकार और सुरक्षा बल के खिलाफ उग्र प्रदर्शन करे.
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