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अपने प्यार की सलामती की दुआ मांगने के लिए इस मजार पर उमड़ पड़ती है प्रेमियों की भीड़ !

लैला-मजनू की मजार

लैला-मजनू की मजार – लैला-मजनू, सोनी-महिवाल और रोमियो-जुलिएट, ये वो नाम हैं जिन्होंने अपने प्यार के लिए मौत का जाम भी हंसते-हंसते पी लिया. इतिहास के पन्नों पर अमर इन प्रेमियों की दास्तान आज भी प्रेमी जोड़ों को अपने प्यार के लिए मर-मिटने का पैगाम देती हैं.

हालांकि जिस तरह से इतिहास के इन प्रेमियों के प्रेम की पूरी दुनिया दुश्मन थी उसी तरह आज भी कई प्यार करनेवालों को घर परिवार के साथ समाज की रुसवाईंयों का सामना भी करना पड़ता है.

आज भी प्यार करनेवालों के कई ऐसे दुश्मन बन ही जाते हैं जो उन्हें एक-दूजे का होने नहीं देते.

आज हम आपको एक ऐसे मजार के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे लैला-मजनू की मजार कहते है – जहाँ प्यार की सलामती की दुआ मांगी जा रही है,  जहां प्रेमी जोड़े अपने प्यार की सलामती की दुआ मांगने के लिए जाते हैं ताकि दुनिया उन्हें एक-दूसरे से जुदा ना कर सके.

लैला-मजनू की मजार पर मांगते हैं मन्नतें

लैला-मजनू की प्रेम कहानी ने उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए अमर बना दिया. जीते जी भले ही उन्हें मोहब्बत के दुश्मनों ने मिलने नहीं दिया लेकिन मौत के बाद उन्हें कोई एक-दूसरे से जुदा नहीं कर पाया.

लैला-मजनू की इस मजार पर हर साल सभी धर्मों के लोग अपनी हाजिरी लगाने के लिए आते हैं. खासकर नव विवाहित जोड़े और बड़ी तादात में प्रेमी जोड़े यहां आते हैं जो यहां अपने प्यार और सफल वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं.

यहां हिंदुस्तान और पाकिस्तान से प्रेमी जोड़े आते हैं इतना ही नहीं इस मजार पर आनेवाले लोगों में हिंदू, मुस्लिम के अलावा सिख और ईसाई धर्म के लोग भी शामिल हैं. मान्यताओं के अनुसार यह पवित्र मजार प्रेम करनेवालों के लिए बेहद खास है.

भारत-पाकिस्तान की सीमा पर है ये मजार

कहा जाता है कि लैला और मजनू ने अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हे पाकिस्तान बॉर्डर से महज़ 2 किलोमीटर दूर राजस्थान के गंगानगर जिले की ज़मीन पर गुजारे थे.

दोनों ने जहां अपनी जिंदगी की आखिरी सांसे ली थी वहीं पर आज दोनों की मजार है. इसके अलावा बॉर्डर पर भी मजनू पोस्ट बनाया गया है और इन अमर प्रेमियों को भारतीय सेना ने भी सम्मान दिया है.

भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित एक पोस्ट को बीएसएफ की ‘मजनू पोस्ट’ नाम दिया गया है. आपको बता दें कि कारगिल युद्ध से पहले इस मज़ार पर आने के लिए पाकिस्तान से खुला रास्ता था, लेकिन बाद में आतंकी घुसपैठ के चलते इसे बंद कर दिया गया.

ऐसे अमर हुई थी दोनों की प्रेम कहानी

लैला-मजनू की यह प्रेम कहानी उस समय की है जब सिंध में अरबपति शाह अमारी के बेटे कैस यानी मजनू को लैला नाम की लड़की प्यार हो गया.

कहा जाता है कि लैला-मजनू को एक-दूसरे से अलग करने के लिए लैला की शादी किसी और से करवा दी गई थी. लैला से दूर होने के गम में मजनू पागल सा हो गया था और इसी पागलपन में उसने कई कविताएं भी लिख डाली.

इसके बाद लैला अपने पति के साथ ईराक चली गई जहां बीमार रहने के चलते कुछ ही समय में उसकी मौत हो गई थी और लैला की कब्र के पास ही मजनू की लाश भी बरामद हुई थी.

दूसरी मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जब लैला के भाई को दोनों की प्रेम कहानी के बारे में पता चला तो उसे ये रिश्ता नागवार गुजरा और उसने बहुत ही बेरहमी से मजनू की हत्या कर दी. जब लैला को इसका पता चला तो वो मजनू के शव के पास पहुंची और अपनी जान दे दी.

जब कि दोनों की इस प्रेम कहानी के बारे में कुछ लोगों का मानना है कि घर से भाग कर दर-दर भटकने के बाद दोनों राजस्थान के गंगानगर जिले में पहुंचे जहां प्यास की वजह से दोनों की मौत हो गई. वहीं कुछ लोग कहते है कि परिवार वालों और समाज से दुखी होकर उन्होंने एक साथ आत्महत्या कर ली.

ये है लैला-मजनू की मजार – गौरतलब है दोनों ने एक-साथ जीने-मरने की कसम खाई थी, जीते जी उनका मिलन नहीं हो सका लेकिन मौत के बाद दोनों हमेशा के लिए लैला-मजनू के रुप में अमर हो गए और आज उनके पवित्र मजार पर आकर लोग अपने प्यार की सलामती के लिए दुआ करते हैं.