बिकिनी पहनने की शुरुआत – आपने भी फिल्मों में या असल जिंदगी में बीच पर लड़कियों को बिकिनी पहने हुए देखा ही होगा लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस बिकिनी पहनने की शुरुआत कैसे हुई ?
आपको बता दें कि इस छोटे से कॉस्ट्यूम को बनाने के पीछे ढेर सारा फैशन कल्चरी और जेंडर पॉलिटिक्स है। भारत के साथ-साथ दुनियाभर के देशों ने महिलाओं को टू-पीस पहनने की इजाजत देने में काफी समय लिया।
बिकिनी पहनने की शुरुआत
बिकिनी पहनने की शुरुआत को लेकर सभी अलग-अलग कहानियां बयां करते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि टू-पीस अमेरिकन गार्मेंट डिजाइनर कार्ल जैंटजेनिन द्वारा 20वीं सदी की शुरुआत में पेश किया गया था लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि ओलंपिक्स में महिलाओं के हिस्सा लेने के बाद से ही स्विम सूट की शुरुआत हुई।
आइए एक नज़र डालते हैं बिकिनी के सफर पर …
1990 में
बेदिंग सूट एक सिंगल गार्मेंट हुआ करता था, ठीक वैसा ही जैसा आपने पहली बार स्विमिंग सीखते वक्त पहना होगा। औरतों को इसे पहनकर बीच पर घूमने की इजाजत नहीं थी और इस वजह से उन्हें बीच वैन में कपड़े बदलने पड़ते थे जो सीधे उन्हें पानी तक ले जाती थी। इस ड्रेस का कपड़ा भी भीरू होता था जो बहुत पानी सोखता था।
1920 में
स्टाइल तो वही था लेकिन अब औरतें इसे खुलेआम पहनकर घूम सकती थीं। अब इसे एक उचि बीचवेयर समझा जाता था। अब तक इसे अलग-अलग सरकारों द्वारा नियमों के हिसाब से उचि कर दिया गया था।
1940 में
इस दौरान यूरोप और अमेरिका में बीचवेयर के प्रति एक रेवॉल्यूशन देखा गया। टू पीस आया और औरतों ने अपनी मिडरिफ खुलेआम दिखानी शुरु कर दी। इसमें हल्के फैब्रिक का भी इस्तेमाल किया गया।
1950 में
जो बिकिनी आज प्रचलित है उसकी शुरुआत एक मॉडल ने की थी जो कि एक न्यूड डांसर भी थी। वो पहली महिला थी जिसने बिकिनी पहनने की हिम्मत दिखाई थी। हालांकि, इस पर बहुत विवाद भी हुआ था लेकिन इसके बाद हर औरत इसे अपने बीचवेयर किट में चाहती थी।
1960 में
एक्ट्रेस उरसुला एंड्रेस के बॉन्ड फिल्म डॉ नं 1. में पानी से टू पीस में निकलते हुए देखा तो इस ड्रेस को और ज्यादा शोहरत मिल गई। ये बिकिनी सेक्शलाइज़ करनेी की पहली कोशिश थी जिसे सिनेमा के इतिहास में एक बड़े मोमेंट के रूप में देखा जाता है।
1970 से 1990
इस दौर में स्विमवेयर डिजाइनर्स ने इसका शेप बदलना शुरु कर दिया था और समय-समय पर इसमें कुछ बदलाव होते रहते थे। हाइ वेस्टेड बॉटम्स की जगह अब लो वेस्टलाइंस ने ले ली थी। अब बिकिनी कई कलर और प्रिंट्स में अवेलेबल थी। जीनत अमान और परवीन बॉबी जैसी खूबसूरत अदाकाराओं ने भी इसे सिल्वर स्क्रीन पर पहना था। वहीं 1990 में इसके फॉर्म्स, शेप और सिलहोट्स के साथ काफी बदलाव किए गए। इस दौर में उर्मिला मातोंडकर और पूजा भट्ट जैसी अभिनेत्रियों ने बिकिनी पहनकर भारतीय दर्शकों के दिल में आग लगा दी थी।
2000 में
अब स्विम सूट पहनना आम हो गया है। बात एक्ट्रेसेस की हो या फिर आम लड़कियों की, हर कोई आराम से बिकिनी पहन सकता है। दिग्गज डिजाइनर्स भी अब बिकिनी डिजाइन करने लगे हैं।
ये थी बिकिनी पहनने की शुरुआत और उनके सफ़र की कहानी – आज बिकिनी पहनना इस बात का सबूत है कि आप सिर्फ फैशनेबल ही नहीं बल्कि फिट भी हैं।