लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश – आपने अक्सर अपने गली मोहल्ले में दो पड़ोसियों को आपस में जगह के लिए लड़ते झड़ते देखा होगा ।
और अक्सर वही लोग उस जगह पर अपना हक जमाने की कोशिश ज्यादा करते हैं जिनका उस पर कोई हक नहीं होता । और ऐसा ही बर्ताव हमारे पडोसी देश चीन का भी है । जो भारत के अधिकारिक क्षेत्रों को हमेशा अपना बताने में लगा रहता है ।और अब तो चीन की जनता भी अपने सरकार के नक्शे कदमों पर चल रही है ।
हम सभी जानते हैं कि लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है ।
लेकिन चीन हमेशा से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर अपना हक जताने की कोशिश करता रहा है । लेकिन कभी कामयाब नहीं हो पाया । लेकिन अपनी नाकम कोशिशों के बाद भी चीन अपनी जिद्द छोड़ने को राजी नहीं है ।और यही बात चीनी लोगों में भी घर कर गई है ।
दरअसल आस्ट्रेलिया में पढ़ रहे चीन के कई छात्रों ने हाल ही में आस्ट्रेलिया की एक यूनिवर्सिटी के पाठयक्रम को लेकर यूनिवर्सिटी के हेड आफिस के आगे विरोध प्रर्दशन किया । नाराज चीनी छात्रों के अनुसार पाठ्यक्रम में चीन का अपमान किया गया है ।
छात्रों की ये नाराजगी भारत और चीन के सीमावर्ती इलाकों के बारे में पढ़ाई गए तथ्यों को लेकर है । चीनी छात्रों की नाराजगी के चलते यूनिवर्सिर्टी को इसके लिए माफी मांगनी पड़ी । और पाठ्यक्रम में बदलाव का आदेश दिया गया ।
खबरों के अनुसार आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले भारतीय मूल के एक लेक्चरर ने छात्रों को उस नक्शे के जरिए पढ़ाया जिसमें लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा दिखाया गया था । जिस वजह से क्लास में बैठे सभी चीनी छात्र नाराज हो गए और इसका विरोध करने लगे । छात्रों ने सोशल मीडिया पर आर्टिकल पोस्ट कर भी इसकी कड़ी आलोचना की ।जिसके बाद चीनी छात्रों के गुस्से को देखते हुए यूनर्विसर्टी ने नक्शे के इस्तेमाल पर चीनी छात्रों से माफी मांगी।
लेकिन ये चीन भी जानता है कि लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश दोनों ही सवैधानिंक रुप से भारत का हिस्सा है । जिस वजह से इस पर चीनी छात्रों की नाराजगी समझ नहीं आती । वहीं कुछ खबरों के मुताबिक आस्ट्रेलिया की यूनवर्सिटी ने भी चीनी छात्रों से माफी सिर्फ इसलिए मांगी क्यों कि यूनिर्वसिटी में चीनी छात्रों की संख्या काफी ज्यादा है और यूनिर्वर्सिटी पूरी तरह चीनी छात्रों के पैसे पर निर्भर है । हालांकि खबरों के अनुसार चीनी छात्रों की नाराजगी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश से ज्यादा ताइवान को चीन का हिस्सा न बताने पर थी ।
चीनी छात्रों का आरोप था कि ऐसा करने के कारण यूनर्वसिटी में ताइवान छात्र अपना एक अलग गुट बना रहे है । आपको बता दें चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है । जबकि ताइवान के लोग ताइवान को एक अलग राष्ट्र मानते हैं । चीनी छात्रों के अनुसार यूनिवर्सिटी में पिछले साल भी एक क्लास के दौरान हांगकांग को चीन में नहीं पढ़ाया गया था । जिसके विरोध में क्लास में मौजूद एक चीनी छात्र ने कहा था कि हांगकांग चीन का हिस्सा है ।
चीनी छात्रों का आरोप था कि यूनिवर्सिटी पुराने नक्शे से विद्यार्थियों को पढ़ा रही थी।
हालांकि देखा जाए तो चीनी छात्रों का गुस्सा पुरी तरह गलत नहीं है । लेकिन ये भी नहीं कहा जा सकता कि वो पूरी तरह सही है क्योंकि अपनी सीमा में आने वाले क्षेत्रों को चीन अपना कह सकता है लेकिन भारत के क्षेत्रों पर हक जताते हुए चीनी छात्रों का नाराज होना किसी के लिए भी आश्चर्यजनक बात है ।
आपको बता दें पिछले साल पश्चिम बंगाल में एक एग्जाम के दौरान भी छात्रों को गलत नक्शे बांटे गए थे जिसमें लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को चीन में दिखाया गया था । उस वक्त इस मुद्दे को लेकर काफी सियासत देखने को मिली थी ।
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