इतिहास

कुरूक्षेत्र के युद्ध में मारे जाने वाले एक भी योद्धा का शव नही मिला था, जानिये क्यो?

कुरूक्षेत्र के युद्ध में – महाभारत का युद्ध आज से हजारों साल पहले कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था।

कुरूक्षेत्र के युद्ध में हजारों योद्धाओं ने अपने प्राण गवाएं थे, ऐसा कहा जाता है कि इन योद्धाओं के खून से आज भी कुरूक्षेत्र की मिट्टी का रंग लाल है। लेकिन क्या आप जानते है हजारों की संख्या में मरने वाले इन योद्धओं के शवों का क्या हुआ होगा क्योंकि आज तक खुदाई में या किसी भी तरह से उस जगह पर किसी कंकाल के होने की खबर नही मिली है। और नाही इतिहास में उस जगह पर किसी भी तरह के शवों के होने की जानकारी मिली है।

हालांकि ये बात हजारों साल पहले की है लेकिन जब लाखों साल पहले धरती पर हुए डायनासोर के कंकाल मिल सकते है तो कुरूक्षेत्र के युद्ध में मरने वाले हजारों योद्धाओं के कंकाल क्यों नही।

दरअसल ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल के समय युद्ध में मरने वाले सभी योद्धाओं का अंतिम संस्कार किया जाता था शायद इसलिए आज तक कुरूक्षेत्र के युद्ध में मरने वाले किसी भी योद्धा का शव या अस्थियां मिलने की खबर नही है।

यहां पर हम कुछ फैक्ट बताने जा रहे है जो बताते है कि कुरूक्षेत्र के युद्ध में मरने वाले योद्धाओं का बाद में क्या हुआ था।

शाम ढलते ही रोक दिया जाता था महाभारत का युद्ध-

ऐसा कहा जाता है कि महाभारत का युद्ध सिर्फ दिन में ही लड़ा जाता था और शाम ढलते ही युद्ध रोक दिया जाता था।

कुरूक्षेत्र के युद्ध में मारे गये योद्धाओं के शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाता था। कुरूक्षेत्र के इतिहास पर रिसर्च कर चुके अमल नंदन का कहना है कि उत्तरायन के दिन जब भीष्म पितामह ने अंतिम सांस ली तो उस दिन कुरूक्षेत्र के युद्ध के समाप्त होने की घोषणा भी की गई थी। उस दिन कुरूक्षेत्र की भूमि को भी जला दिया गया था ताकि कुरूक्षेत्र के युद्ध में मारे गये योद्धाओं को स्वर्ग में जगह मिले। जलने के बाद उस मिट्टी से युद्ध के सभी निशान भी मिट गये।

युद्ध के लिए आखिर कुरूक्षेत्र ही क्यो चुना गया

महाभारत के युद्ध के लिए जमीन की तलाश श्रीकृष्ण द्वारा की गई थी।

श्रीकृष्ण नही चाहते थे कि संबंधी और कुटुंब लोग आपस में जब एक-दूसरे को मरते और मारते हुए देखेंगे तो कही ये लोग एक-दूसरे से संधि ना कर बैठे और युद्ध न टाल दे। इसलिए युद्ध के लिए ऐसी जमीन चुनी जाए जिसमें क्रोध और द्वेष के संस्कार पर्याप्त मात्रा में हो। वास्तु के हिसाब से भी वो ऐसी जगह हो जहां शांति नही हो और युद्ध के आसार बने।

श्रीकृष्ण ने ऐसी जमीन की तलाश के लिए कई लोगों को अलग-अलग दिशाओं में भेजा तब जाकर कुरूक्षेत्र को चुना गया। ऐसा कहा जाता है कि कुरूक्षेत्र में एक भाई ने अपने सगे भाई को ही छुरे से काट दिया था। जब श्रीकृष्ण ने इस स्थान की नृशंसता सुनी तो उन्होंने निश्चय किया की भाई द्वारा भाई को काट देने वाली इस जगह पर ही महाभारत का युद्ध होना चाहिए।

Sudheer A Singh

Share
Published by
Sudheer A Singh

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago