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आप में ये लोग है कुमार विश्वास के निशाने पर !

कुमार विश्वास

ऊपर से देखने में आम आदमी पार्टी में विश्वास का संकट भले ही समाप्त हो गया हो लेकिन अविश्वास के बाद अभी पूरी तरह छटे नहीं हैं.

जो लोग अभी ये सोच रहे हैं कि पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान के निलंबन के साथ कुमार विश्वास को लेकर पिछले कुछ दिनों चल रहा विवाद समाप्त हो गया है, वे अभी गलतफहमी में हैं.

माडिया से बातचीत में कुमार ने जो बातें कही हैं उस पर गौर करने से साफ हो जाता है कि कुमार विश्वास के निशाने पर केवल अमानतुल्लाह ही नहीं है बल्कि अभी कुछ ओर लोग भी है.

कुमार विश्वास ने जो बयान दिया उसमें तीन शब्द महत्वपूर्ण हैं. वे हैं भ्रष्टाचार, राष्ट्रवाद और अनुशासनहीनता. जिसको लेकर उन्होंने कहा कि इससे कोई समझौता नहीं किया जाएगा.

इन सब में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है राष्ट्रवाद. यही वह शब्द है जिसको लेकर आने वाले दिनों में आम आदमी पार्टी में बवाल मचना तय है. जो लोग आम आदमी पार्टी की राजनीति को शुरू से देख रहे होंगे उन्हें ये बात समझ में आ जाएगी.

क्योंकि अन्ना आदोंलन के बाद सत्ता की दहलीज पर कदम रखते ही केजरीवाल ने राष्ट्रवाद से न केवल दूरी बना ली बल्कि वे इससे इतना दूर निकल गए कि उन्होंने पाकिस्तान में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े कर एक प्रकार से सेना को ही कठघरे में खड़ा कर दिया.

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आम आदमी पार्टी में वामपंथ विचारधरा के लोगों का प्रभाव बढ़ गया था. आशीष खेतान से लेकर आशुतोष और गोपाल राय तक सभी का झुकाव वामपंथ की ओर ही है.

और इनके विचार और प्रभाव के चलते आम आदमी पार्टी की छवि न केवल राष्ट्रविरोधी पार्टी की बन गई बल्कि उसको नकारात्मक पार्टी के तौर पर भी जाना जाने लगा.

वहीं आम आदमी पार्टी और केजरीवाल ने कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक हथियाने के लिए न केवल मुस्लिम तुष्टीकरण का सहारा लेना शुरू कर दिया बल्कि वामपंथियों के प्रभाव में दलित और स्वर्ण की राजनीति में भी कूद गई.

इससे अपने कविताओं और अन्ना आंदोलन में राष्ट्रवाद की बात करने वाले कुमार विश्वास बेचैन हो रहे थे. लिहाजा दिल्ली नगर निगम चुनाव में केजरीवाल को मिली करारी हार के बाद कुमार विश्वास ने मोर्चा खोल दिया.

इसमें उन्हें शुरूआती सफलता भी मिलती नजर आई. लेकिन अभी लड़ाई समाप्त नहीं हुइ है. पार्टी में वामपंथी रूझान वाले उनके विरोधियों की संख्या काफी है. जिससे कुमार विश्वास को पार पाना है.