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जानिए कृष्ण ने अधर्म का साथ देनेवाले कर्ण का अंतिम संस्कार क्यों किया था!

कर्ण का अंतिम संस्कार

महाभारत में कर्ण एक ऐसा पात्र था, जो देव पुत्र होने के बावजूद भी समाज में अस्वीकार किया गया और उसको  सामाजिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा.

कर्ण एक महान योद्ध और दानी राजा था

लेकिन कर्ण ने कुरुक्षेत्र में अपने भाइयों (पांडवो) को छोड़कर कौरवों का साथ दिया था. कौरवों का साथ देने के बावजूद ऐसा क्या हुआ होगा. जिसके कारण कृष्ण को कर्ण का अंतिम संस्कार करना पड़ा होगा.

तो आइये जानते है कृष्णा ने कर्ण का अंतिम संस्कार क्यों किया!  

  • कर्ण, कुंती और सूर्य का पुत्र था. कुंती ने कर्ण को अविवाहित होते हुए जन्म दिया था.
  • कर्ण का पालन एक रथ सारथी ने किया था, जिसके कारण कर्ण सूतपुत्र कहा जाता था.
  • अविवाहित माता से जन्म और रथ सारथि के पालन के कारण कर्ण को समाज में ना तो सम्मान मिला और ना अपना अधिकार मिला.
  • कर्ण के सुतपुत्र होने के कारण द्रोपदी, जिसको कर्ण अपनी जीवन संगनी बनाना चाहता था, उसने कर्ण से विवाह से इंकार कर दिया था.
  • इन सब कारणों से ही कर्ण पांडवों से नफरत करता था और कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों का साथ दिया था.
  • कर्ण की मौत का कारण भगवान कृष्ण बने. भगवान कृष्ण ने ही अर्जुन को कर्ण के वध का तरीका बताया था. इसी तरीके से ही कर्ण का वध हुआ.
  • कर्ण एक दानवीर राजा होने के कारण भगवान कृष्ण ने कर्ण के अंतिम समय में उसकी परीक्षा ली और कर्ण से दान माँगा तब कर्ण ने दान में अपने सोने के दांत तोड़कर भगवान कृष्ण को अर्पण कर दिए.
  • कर्ण की इस दानवीरता से प्रसन्ना होकर भगवान  कृष्ण ने कर्ण को वरदान मांगने को कहा.
  • कर्ण ने वरदान रूप में अपने साथ हुए अन्याय को याद करते हुए भगवान  कृष्ण के अगले जन्म में उसके वर्ग के लोगो के कल्याण करने को कहा.
  • दूसरे वरदान रूप में भगवान कृष्ण का जन्म अपने राज्य लेने को माँगा और तीसरे वरदान  के रूप में अपना अंतिम संस्कार ऐसा कोई करे जो पाप मुक्त हो.
  • कर्ण को वरदान देते हुए भगवान कृष्ण  ने सारे वरदान स्वीकार कर लिए. परन्तु तीसरे वरदान से भगवान  कृष्ण दुविधा में आ गए और ऐसी जगह सोचने लगे, जहाँ पाप ना हुआ हो. परन्तु  भगवान कृष्ण को  ऐसा कोई जो पाप मुक्त हो यह समझ नहीं आया.
  • वरदान देने के वचन बद्धता थी इसलिए कर्ण का अंतिम संस्कार भगवान कृष्ण अपने ही हाथो से किया और कर्ण को दिए वरदान को पूरा किया.

इस तरह दानवीर कर्ण का अधर्म का साथ देने के बावजूद भगवान कृष्ण को कर्ण का अंतिम संस्कार कर उनको वीरगति के साथ बैकुंठ धाम भेजना पड़ा था.