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कोटा में बच्चे पढ़ाई नहीं बल्कि ड्रग्स लेने में बिता रहे हैं अपनी लाइफ

कोटा की आईआईटी में स्टूडेंट्स ड्रग्स के आदि – माँ-बाप अपना पेट काटकर बच्चे को अच्छे से अच्छे स्कूल और कोचिंग क्लास में दाखिला दिलाते हैं.

उन्हें ऐसा लगता है कि कल वो सही तरह से अपनी जिंदगी में सेटल हो जाएंगे. अच्छी शिक्षा लेकर वो अपना भविष्य बना लेंगे और उनकी लाइफ संघर्ष से दूर रहेगी, लेकिन माँ-बाप का ये सपना तब टूट जाता है जब ये बच्चे अपनी लाइफ अधूरी छोड़ देते हैं.

पढ़ाई के बोझ तले वो अपनी लाइफ को ख़त्म कर देते हैं.

कुछ ऐसा ही हो रहा है राजस्थान के कोटा में. कोटा में हर साल लाखों स्टूडेंट आगे की पढ़ाई की तैयारी के लिए जाते हैं. कुछ बच्चे अपनी लाइफ में आगे बढ़ जाते हैं तो कुछ लाख कोशिशों के बावजूद पीछे ही रह जाते हैं. कुछ बच्चे एक ऐसे अँधेरे में खो जाते हैं जहाँ से उन्हें वापस लाना बहुत मुश्किल होता है. उस अँधेरे का नाम है नशा. कोटा की आईआईटी में स्टूडेंट्स ड्रग्स के आदि हो रहे है.

कोटा की आईआईटी में स्टूडेंट्स ड्रग्स के आदि है – कोटा में पढ़ने वाले ज्यादा से ज्यादा छात्र इसी अँधेरे में ग़ुम हो रहे हैं.

माँ-बाप ने उन्हें अपना भविष्य उज्जवल करने के लिए भेजा था, लेकिन ये ऐसे अँधेरे में खोते जा रहे हैं जहाँ से वापस लाना बहुत मुश्किल हो रहा है. राजस्थान के कोटा में पढ़ने वाले छात्रों के बीच तनाव, अकेलापन, अनिंद्रा, खुद ही खुद को नुकसान पहुंचाने का एटीट्यूड, सेक्शुअल एक्पेरिमेंटेशन, प्रेग्नेंसी के चांसेज और ड्रग का इस्तेमाल आम बात है.

बच्चे इस तरह की आदतों के शिकार हो रहे हैं और अपने लक्ष्य से भटक रहे हैं. हम आपको बता दें कि कोटा को आईआईटी में एडमिशन लेने लिए तैयार करने वाले कोचिंग इंस्टीट्यूट का हब माना जाता है. यही नहीं यहाँ पर डॉक्टर बनने के लिए भी लाखों बच्चे आते हैं.

कैसे खो जाते हैं नशे में ?

एक बार ये अगर आपकी लाइफ में एंटर हो गया तो आप अपनी लाइफ से एग्जिट हो जाते हैं.

आपको ये अपने नशे में ड्राइव करता है. आपका खुद पर वश नहीं होता. स्टूडेंट पहले कौतूहल में, संगी साथियों के दबाव में, पढ़ाई लिखाई, तनाव और संकटों को भुलाने के लिए नशा लेना शुरू करते हैं. एक बार पढ़ाई में फेल होने के बाद ये लत बढ़ जाती है. धीरे धीरे, उस ड्रग के सेवन से, दिमाग में आए बदलाव, व्यक्ति में उस नशे को और लेने की इच्छा जगा सकते हैं और उसके सेवन की मात्रा पर उनका क़ाबू नहीं रहता.

फिर इसी ड्रग्स की ऐसी आदत पड़ती है कि बच्चे पूरी तरह से पढ़ाई में फेल होने लगते हैं.

इतना ही नहीं वो पढ़ाई छोड़कर चोरी, गुंडागर्दी, लड़कियां देह व्यापार जैसी आदतें सीख जाती हैं. लड़के बड़े घरों की महिलाओं को खुश करने में लगे रहते हैं. वो अब पढ़ाई न करके किसी और ही चक्कर में पड़ जाते हैं. धीरे धीरे जब उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है तो वो खुदखुशी कर लेते हैं. वो सबकुछ भूलकर अपने जीवन का अंत कर लेते हैं.

कोटा की आईआईटी में स्टूडेंट्स ड्रग्स के आदि इतने हो जाते है कि उन्हें ऐसा लगता है कि अब वो पढ़ाई कर नहीं पाएंगे और सबसे पीछे रहने से अच्छा है कि मौत में ही आगे निकल लिया जाए.

कोटा की आईआईटी में स्टूडेंट्स ड्रग्स के आदि – हम आपको बता दें कि कोटा जिला प्रशासन ने ही सुसाइड के पीछे की वजह को पता लगाने के लिए रिसर्च कराया था. यह रिसर्च मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस को दी गई थी.  रिपोर्ट की सच्चाई से सब हैरान और परेशान हैं.

Shweta Singh

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