अगर आप पतंगबाजी के शौकीन है तो आप अपनी पतंग आसमान में बेखौफ होकर उड़ाइए. अब आप की पतंग को कोई नहीं काट पाएगा, क्योंकि एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने मांझे पर रोक लगा दी है.
एनजीटी का कहना है कि मांझा यानी पिसे हुए कांच का उपयोग करके तैयार की जाने वाली पतंग की डोर तब तक बाजार में नहीं बिकेगी जब तक कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण इस पर अगली सुनवाई में कोई निर्णय नहीं लेता है.
गौरतलब है कि देश में मकर संक्रांति पर काफी बड़े पैमाने पर पतंगबाजी होती है.
इस दौरान लोगों में एक दूसरे की पतंग काटने की होड़ रहती है. कहीं कहीं पर तो इसको लेकर प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं. इस दौरान लोग एक दूसरे की पतंग काटने के लिए कांच से बने मांझे का प्रयोग करते हैं.
आपको बता दें कांच के मिश्रण से बना यह तेज धार वाला मांझा बहुत ही खतरनाक होता है. इसकी चपेट में आकर कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. ज्ञात हो कि इस वर्ष अगस्त में राष्ट्रीय राजधानी में चीनी मांझा से दो बच्चों और एक युवक की दर्दनाक मौत के एक दिन बाद दिल्ली सरकार ने आज कांच मिले मांझा या चीनी मांझा की बिक्री, उत्पादन एवं भंडारण पर रोक लगा दी थी.
देश भर में हुए हादसों को लेकर गैर सरकारी संगठन पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स इंडिया ने इसकी शिकायत एनजीटी से की थी. शिकायत में कहा गया था कि पतंगबाजी करने में इस्तेमाल होनेवाले मांझे में कांच और लोहे के महीन कण की कोटिंग होती है. जबकि इन दिनों बाजार में बहुतायत में बिकने वाला चीनी मांझा नायलॉन से बनता है.
यह मांझा न केवल मनुष्यों के लिए बल्कि पक्षियों के लिए भी जानलेवा साबित हो रहा है. इसकी चपेट में आकर कई पक्षियों की भी मौत हो चुकी है. यही वजह है कि एनजीटी ने देश में चीनी मांझे समेत कांच की कोटिंग वाले धागों पर रोक लगा दी है.
यह फैसला आने वाले दिनों में मंकर संक्रांति को देखते हुए लिया गया गया है.
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व में एनजीटी की पीठ ने नायलॉन के धागे से बने चीनी मांझा के साथ-साथ कांच या अन्य खतरनाक यौगिक लेपित सिंथेटिक या सूती धागों पर अगली सुनवाई तक अंतरिम रोक लगाई है.
एनजीटी का आदेश है कि वह इसको लेकर अगली सुनवाई 1 फरवरी को करेगा और तब तक सभी तरह का मांझा प्रतिबंधित रहेगा.