दिल्ली का आंनद बिहार बस टर्मिनल. सुबह के करीब 6 बजने को हैं.
बाहर से दिल्ली आने जाने वाले लोग अपने अपने गंतव्य की बसे पकड़ रहे हैं.
जैसे ही सवारी बस में बैठती है तभी किन्नरों की भीड़ आकर उनको चारों ओर से घेर लेती हैं. ये किन्नर बस में बैठे लोगों की सीट पर एक एक कर पहुंचते और उनसे पैसों की मांग शुरू कर देते हैं. यहाँ शुरू होती है भिक्षावृति में किन्नरों की दादागिरी !
और फिर होता है किन्नर और भिक्षावृति के नाम पर जबरन पैसा वसूली का धंधा और नहीं देने पर उनके साथ गाली और धक्कामुक्की तक कर देते हैं.
भिक्षावृति में किन्नरों की दादागिरी से डरी सहमी सवारी एक एक कर पैसा देना शुरू कर देती है. ये किन्नर एक सवारी से कम से कम 5 रूपए से लेकर 10 रूपए तक वसूलते हैं. इस प्रकार एक बस से करीब दो से चार मिनट में से करीब 100 रूपए तक बना लेते हैं. इसके बाद ये रूख करते हैं दूसरी बस की ओर. वहां भी यही सिलसिला शुरू होता है.
आपको बता दें कि सुबह के समय यहां बाहर से आने जाने वाले यात्रियों की की काफी संख्या होती है तो उस कारण वहां काफी बसे होती है.
चूंकि ये सवारी या तो बाहर से दिल्ली आ रही होती है या जा फिर दिल्ली से जा रही होती है. इसका ये किन्नर खूब फायदा उठाते हैं.
क्योंकि अधिकांश लोग बाहर का होने के कारण और इनके गैंग बनाकर की जाने वाली बदतमीजी को देखकर डर जाते हैं और वे इनसे उलझने के बजाए चुपचाप पैसे दे देते हैं.
ये स्थिति राजधानी के बस टर्मिनलों की ही नहीं बल्कि रेलवे स्टेशनों की भी है.
क्योंकि इनका 10 से 12 का गैंग होता है इस कारण न तो लोग इनसे लड़ना पसंद करते हैं और न ही इनकी पुलिस में शिकायत करते हैं. क्योंकि अव्वल तो पुलिस सुनती ही नहीं है दूसरे यात्री भी सोचते है कि 5 रूपए के चक्कर में पुलिस के झमेले में पड़ना बेकार की सिरदर्दी मौल लेना है.
भिक्षावृति में किन्नरों की दादागिरी से इनका हौसला दिन ब दिन बढ़ता ही जाता है. ये बसों से लेकर ट्रेनों में आपको भीख के नाम पर जबरन पैसा वसूलते हुए मिल जाएंगे.
गौरतलब है कि करीब दो साल पहले पुणे पटना एक्सप्रेस में किन्नर ने एक यात्री को चलती ट्रेन से इसलिए नीचे फेंक दिया था कि उसने किन्नर को मांगने पर उसे पैसे नहीं दिए थे.
देखा गया है कि ये किन्नर न केवल ट्रेनों जहां रेलवे पुलिस तक मौजूद रहती है वहां जबरन पैसे मांगते हैं बल्कि यात्रियों के साथ अभद्र व्यवहार भी करते हैं. रुपए न देने पर किन्नर कपड़े उतार नाचने लगते हैं. ऐसे में मजबूरन यात्रियों को पैसे देने पड़ते हैं. विरोध करने पर किन्नर भड़क जाते हैं और यात्रियों के साथ मारपीट भी करते हैं.
इस तरह से चलती है भिक्षावृति में किन्नरों की दादागिरी –
वहीं कुछ किन्नरों के मुताबिक ट्रेनों में रुपए मांगने वाले किन्नर नहीं होते हैं, बल्कि लड़के ही होते हैं जो किन्नरों का वेश धर रुपए मांगने निकलते हैं.
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