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एक राजा की दो रानीयां और उनसे हुए 60 हजार बच्चे ! इन 60 हजार योद्धाओं ने लड़ा था एक युद्ध!

हजारों कहानियों के संग्रह हैं हमारे मात्र दो शास्त्र.

एक रामायण और दूसरे का नाम है महाभारत. यह कहानी रामायण में आती है जब पृथ्वी पर राजा सगर अपनी दोनों रानियों केशिनी और सुमति के साथ संतान प्राप्ति के लिए तप कर रहे थे. काफी खुशहाल राज्य को अपने वशजों की जरूरत थी.

राजा और रानियों के तप  से भृगु-मुनि जी प्रसन्न हुए थे उन्होंने रानियों को संतान प्राप्ति का वरदान दिया.

उन्होनें कहा एक रानी से तो एक ही पुत्र ही होगा, और दूसरी रानी से साठ हजार पराक्रमी पुत्रों की प्राप्ति होगी.

लेकिन हे राजा याद रखें कि जिस रानी के एक पुत्र होगा उसी से आपकी वंश वृद्धि होगी. समय चलता गया और रानी केशिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया. उसका नाम असमंजस रखा गया और सुमति जो दूसरी रानी थी उसके गर्भ से एक पिण्ड का जन्म हुआ उसमें से साठ हजार पुत्रों का जन्म हुआ.

दाइयों को इन हजारों कुमारों को पालने का काम सौंपा गया.

वहीँ एक कहानी बताती है कि जब सुमति ने तूंबी के आकार के एक गर्भ-पिंड को जन्म दिया. राजा उसे फेंक देना चाहते थे किंतु तभी आकाशवाणी हुई कि इस तूंबी में साठ हजार बीज हैं. घी से भरे एक-एक मटके में एक-एक बीज सुरक्षित रखने पर कालांतर में साठ हजार पुत्र प्राप्त होंगे.

इसे महादेव का विधान मानकर सगर ने उन्हें वैसे ही सुरक्षित रखा. समय आने पर उन मटकों से साठ हजार पुत्र उत्पन्न हुए. जब राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया तो उन्होंने अपने साठ हजार पुत्रों को उस घोड़े की सुरक्षा में नियुक्त किया.

जब इंद्र के छल से हुआ युद्ध
अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा देवराज इंद्र ने छलपूर्वक चुरा लिया और इस बात से सभी 60 हजार बच्चों को काफी आघात हुआ. आखिर इतनी विशाल संख्या होने के बाद भी अगर एक घोड़ा न बचा सके तो यह इनके लिए अपमान की बात थी. उधर इन्द्र ने यह घोड़ा कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया था.

राजा सगर के साठ हजार पुत्र उस घोड़े को ढूंढते-ढूंढते जब कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे तो उन्हें लगा कि मुनि ने ही यज्ञ का घोड़ा चुराया है. यह सोचकर उन्होंने कपिल मुनि का अपमान कर दिया. बेशक यह एक भूल थी किन्तु उस समय पूरी एक सेना ऋषि के आश्रम पर थी. सभी अपने अभिमान में अंधे थे. तभी ध्यान में बैठे कपिल मुनि ने जैसे ही अपनी आंखें खोली, राजा सगर के 60 हजार पुत्र वहीं भस्म हो गए.

गंगा का पृथ्वी पर आने का यह भी एक कारण
बहुत दिनों तक पुत्रों को लौटता न देख राजा सगर ने अपने बेटे अंशुमान को घोड़ा खोजने के लिए भेजा.

वह घोड़ा खोजते-खोजते वहां पंहुचा जहाँ उसके भाइयों की राख थी. तब अंशुमान ने जलदान के लिए जलाशय खोजा किन्तु वहां कुछ नहीं मिला, तभी पक्षीराज गरुड़ उड़ते हुए वहां पहुंचे और कहा कि ‘ये सब कपिल मुनि के शाप से हुआ है, अत: साधारण जलदान से कुछ न होगा. गंगा का तर्पण करना होगा. इस समय तुम अश्व लेकर जाओ और पिता का यज्ञ पूर्ण करो. तब इन्होनें ऐसा ही किया.

रामायण, महाभारत और भागवत तीनों जगह यह कहानी आती है.

सभी जगह हलके-हलके बदलावों के साथ यह कथा मौजूद है. अंत में गंगा का पृथ्वी पर आना यह इन्हीं 60 हजार मौतों के कारण बताया जाता है.

इसलिए ही तो कहते हैं कि जो भी होता है अच्छा ही होता है.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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