आज हमारे देश में सलमान ख़ान, शाहरुख़ ख़ान और आमिर ख़ान से बड़ा कोई सुपरस्टार नहीं है!
बॉक्स-ऑफ़िस कहिए या लोगों के दिलों में जगह की बात कीजिये, इनसे ऊपर कोई नहीं है! ज़ाहिर है कि ये तीनों देशवासियों के दिलों पर, उनके दिमाग़ में अपनी एक छाप ज़रूर छोड़ते होंगे!
तो चलिए ज़रा पता लगाते हैं कि उनकी स्टारडम हमारे देश और देशवासियों के बारे में कौन से तीन राज़ बताती है:
1) हम दिमाग़ का इस्तेमाल नहीं करते
यार अब बुरा मत मानो! सच ही तो है! अगर दिमाग़ से सोचते होते तो सलमान और शाहरुख़ की फ़ालतू की फिल्मों पर मेहनत से कमाए हज़ारों रूपए नहीं उड़ा आते! आमिर भी अब सल्लू भाई या शाहरुख़ से कुछ अलग नहीं रह गए! सोच के बताओ, क्या वॉन्टेड, बॉडीगार्ड, रेडी या हैप्पी न्यू ईयर, चेन्नई एक्सप्रेस या धूम 3 और पीके में सच में कोई ख़ास बात थी जो उनकी इतनी महँगी टिकटें ख़रीद के हम हॉल में गए?
2) हमें कोई भी उल्लू बना सकता है
देख लो आमिर और शाहरुख़ की मार्केटिंग स्किल्स को! या सल्लू भाई के प्यार को! घटिया और बोरिंग और बिना सर-पैर की फ़िल्मों का इतना ज़्यादा प्रचार करते हैं कि उनके फ़ैन्स इन फ़िल्मों को देखने के लिए दीवाने से हुए जाते हैं! माना कि इन सभी सुपरस्टार्स ने अपने ज़माने में बेहतरीन, अलग और कमाल की फिल्में की हैं लेकिन उनके बल पर अब बेकार सिनेमा दिखाना कहाँ की ईमानदारी है! इनके पास पैसा है, पॉवर है, कुछ अलग करने की ताक़त है, फिर भी इनकी फिल्में ऐसी होती हैं जिन्हें देख कर सर पीटने को जी चाहता है!
3) हमारी याददाश्त बहुत ख़राब है
है ही यार, ये तो मानना ही पड़ेगा! हम जानते हैं कि पिछली फ़िल्म में इन्होंने बेकार काम किया था, ख़राब फ़िल्म बनायी थी लेकिन जैसे ही इनकी अगली फ़िल्म आने वाली होती है, हम फिर इनके पीछे दौड़ पड़ते हैं कि शायद ये सुधर जाएँ और कुछ अच्छा दिखा दें! लेकिन फिर वही बकवास! और फिर उन्हें लगता है कि चलो लोग बार-बार हॉल में आ रहे हैं मतलब ऐसी ही फिल्में उन्हें पसंद आती हैं इसलिए ऐसी ही फिल्में बनाये जाओ! और पसंद नहीं भी आतीं तो कोई नहीं, जब तक अगली फ़िल्म आएगी, तब तक हम पुरानी भूल चुके होंगे! और बीच-बीच में ये कोई टीवी शो या एड कर लेंगे या कोई विवादस्पद बात कह देंगे जिस से कि इन्हें पब्लिसिटी भी मिल जायेगी और पुराने काम को भी लोग भूल जाएँगे!
तीनों कमाल के सुपरस्टार हैं पर ज़रुरत है कि ये हम फ़ैन्स के जज़्बातों से खेलना छोड़ दें, अच्छा सिनेमा बनाएँ और बेकार के विवादों को खड़ा ना करें!
एक्टर हैं, एक्टिंग ही करें तो बेहतर होगा!
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