गुजरात में पटेल आंदोलन हो या उना का मामला केजरीवाल दिल्ली को छोड़कर तुरंत गुजरात पहुंच जाते हैं.
केजरीवाल जिस प्रकार बार बार गुजरात का दौरा कर रहे हैं, उसको लेकर लोगों के मन में एक प्रश्न अक्सर आता है कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री तो दिल्ली के हैं लेकिन गुजरात का दौरा कुछ ज्यादा ही करते है. वे दिल्ली से ज्यादा गुजरात का दौरा करते है, गुजरात में सभाएं करते नजर आते हैं.
दरअसल, इसके पीछे एक बहुत ही सोची समझी रणनीति है.
केजरीवाल बहुत दूर की कौड़ी फेंक रहे हैं.
आपने देखा होगा कि केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. जो केजरीवाल शुरू में मोदी पर हमले करने से बचते थे वो केजरीवाल एकाएक मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाराणसी पहुंच गए. आखिर ऐसा क्या हुआ कि रातोंरात केजरीवाल ने अपनी रणनीति बदलकर हमले की दिशा कांग्रेस से हटाकर सीधे मोदी ओर मोड़ दी.
यह सब हुआ वर्ष 2013 में, जब दिल्ली विधान सभा चुनाव का परिणाम आया और उसमें केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई. आप को चुनाव में ऐसी सफलता मिलेगी उसकी केजरीवाल को क्या किसी को भी उम्मीद नहीं थी. केजरीवाल ने देखा कि दिल्ली में उसे मुस्लिम इलाकों को छोड़कर अन्य सब जगह से अच्छा समर्थन मिला है.
केजरीवाल की राजनीति का यही वह टर्निंग प्वाइंट था जब केजरीवाल ने तय किया कि अब उसकी राजनीति अब कांग्रेस को नही, मोदी के विरोध को केंद्र में रखकर आगे बढ़ेगी.
क्योंकि विधान सभा चुनाव में कांग्रेस मुस्लिमों के बीच जाकर यह प्रचार कर रही थी कि केजरीवाल मोदी पर हमला नहीं कर रहे हैं. क्योंकि वे भाजपा की बी टीम है जिसे कांग्रेस कमजोर करने के लिए खड़ा किया गया है.
इसके बाद केजरीवाल ने केवल मोदी पर हमले शुरू कर दिए बल्कि वाराणसी में उनके खिलाफ चुनाव तक लड़ा.
क्योंकि ऐसा कर वे मुस्लिम मतदाताओं को संदेश देना चाह रहे थे कि वे इस देश में मोदी को कोई रोक सकता है या उनका मुकाबला कर सकता है तो वह केवल केजरीवाल ही है. गौरतलब है कि गुजरात दंगों के बाद मुस्लिम समुदाय मोदी से नाराज था भाजपा को रोकने के लिए वह हर संभव कोशिश कर रहा था.
यही वजह है कि केजरीवाल यह जानते हुए कि वे वाराणसी से नहीं जीत सकते उसके बाद भी उन्होंने मोदी के सामने चुनाव लड़ा.
अब मामला चाहे पटेल आंदोलन का हो या उना की घटना, केजरीवाल बार बार गुजरात के दौरे कर रहे हैं. उसके पीछे उनकी मंशा है कि मुस्लिमों में यह संदेश जाए कि केजरीवाल ही मोदी को चुनौती दे सकते हैं.
साथ ही राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस में जिस प्रकार हाशिए पर जा रही है उसको देखते हुए उनको विश्वास हो चला है कि भारत की राजनीति में विपक्ष के लिए मैदान पूरी तरह से साफ पड़ा है. बाकी दलों में दूर दूर तक कोई ऐसा नेता नहीं है जो नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सके.
केजरीवाल को लगता है कि भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में उन्हें जिस प्रकार दिल्ली में लोगों का समर्थन मिला उसको देखते हुए आज भी लोग उनको भ्रष्टाचार विरोधी नेता के तौर पर देखते हैं.
ऐसे में यदि उनको मुस्लिमों का साथ मिल जाए तो वे देश में कांग्रेस का विकल्प बन सकते हैं.
इसलिए केजरीवाल गुजरात का दौरा कुछ ज्यादा ही करते है.
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