अगर दिल्ली में अन्ना का जनलोकपाल बिल लागू हो गया होता तो उसके पहले बड़े शिकार अरविंद केजरीवाल होते.
और ये शायद पहला मौका होता जब कोई मुख्यमंत्री अपने बनाए कानून का खुद ही पहला शिकार होता. इतना ही नहीं इसके लिए उनकी सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा को 20 लाख रुपये इनाम के तौर पर भी मिलते.
आपको बता दें कि जनलोकपाल बिल में दोषी पाए जाने पर सजा के ये प्रावधान थे. बिल के मुताबिक भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर न केवल केजरीवाल की संपत्ति जब्त होती बल्कि उन पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने पर दिल्ली सरकार उनसे भ्रष्टाचार की वजह से हुए नुकसान का भरपाई भी करती.
गौरतलब हो कि जनलोकपाल में किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर लोकपाल की टीम 3 महीने में जाँच पूरी करने का प्रावधान था. साथ ही दोषी पाए गए व्यक्ति पर बर्खास्तगी के साथ जुर्माने का प्रावधान भी है.
इसके दायरे में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री समेत सभी मंत्री आते. लेकिन आज भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने वाले उसी अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता खतरे में है. जिनके उपर उनके ही एक सहयोगी और अब पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने भ्रष्टाचार को लेकर संगीन आरोप लगाए.
कपिल मिश्रा का आरोप है कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने केजरीवाल को दो करोड़ रुपये कैश दिए थे. जिस वक्त ये पैसा दिया गया उस वक्त वे वहा स्वय मौजूद थे.
क्योंकि जैन ने केजरीवाल के करीबी रिश्तेदार को 50 करोड़ की जमीन सौदे में मदद की थी.
ऐसे में सवाल उठता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ रामलीला मैदान से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जिस जंग का ऐलान किया था. उससे देश के जनमानस में उम्मीद जगी कि अब कांग्रेस के भ्रष्टाचार से देश को मुक्ति मिलेगी.
लेकिन आज वह उम्मीद न केवल टूट गई है बल्कि केजरीवाल स्वयं उस कठघरे में खड़े हैं जिसमें वे अबतक बिना सबूतों के सबकों खड़ा करते आए हैं. रामलीला मैदान से लेकर आम जगहों केजरीवाल कहते रहे कि उनके सत्ता में आने के बाद दिल्ली में जनलोकपाल लागू हो जाएगा जिससे देश को कैंसर रूपी भ्रष्टाचार से आजादी मिलेगी.
दिल्ली की जनता को भ्रष्टाचार से आजादी तो नही मिली बल्कि केजरीवाल आज खुद उसी बीमारी से घिरे नजर आ रहे है.
केजरीवाल के ही एक करीबी और उनके मंत्री द्वारा उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद दिल्ली की जनता ही नहीं बल्कि देश के वो लोग भी अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं जिनकों केजरीवाल के राजनीति में आने से एक उम्मीद दिखाई दी थी.
आम जनता सोच रही है जब केजरीवाल ने गच्चा दे दिया तो अब किस पर ऐतबार किया जाए.
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