दिल्ली में गणतंत्र दिवस के अवसर पर जहाँ एक तरफ जश्न मनाया जा रहा था तो वहीँ दूसरी तरफ राजधानी दिल्ली के कुछ इलाके अपनी बदहाली को रो रहे थे.
असल में 26 जनवरी को जब सुबह से दिल्ली में बारिश हो रही थी और किसी ने यह नहीं सोचा था कि इस दिन दिल्ली के कई इलाके अँधेरे में डूब जायेंगे.
सुबह 9 बजे से कई इलाकों में ही बिजली गुल थी और रात को लगभग 11 बजे तक दिल्ली के कई इलाकों में बिजली नहीं आई थी.
एक तरफ जहाँ दिल्ली को पेरिस बनाने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली से वोट मांगे थे, आज वहीँ मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली की बिजली समस्या पर बात तक नहीं कर रहे हैं.
दिल्ली का आलम यह है कि इस समय दिल्ली के कई मंत्री खुद को प्रधानमंत्री से कम नहीं मान रहे हैं.
मीडिया अगर दिल्ली सरकार की खस्ता हालत और दिल्ली की बदहाली पर खबर लिखती है तो मुख्यमंत्री केजरीवाल और आप सरकार के प्रवक्ता सारी साजिश केंद्र के जिम्मे डाल देते हैं. लेकिन इस गणतंत्र दिवस पर जिस तरह की बदहाली दिल्ली में देखने को मिली है उसका जवाब ना तो बीएसईएस बिजली कम्पनी के पास है और ना ही दिल्ली के मुख्यमंत्री पर इसका जवाब है.
देश की राजधानी में बारिश ने यह दिखा दिया है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल की दिल्ली अभी पेरिस नहीं बल्कि अफ्रीका के कई राज्यों से भी पिछड़ी हुई है. दिल्ली के पश्चिमी करावल नगर में अगर आप अभी इस समय चले जाते हैं जो यहाँ जाकर आपको मालूम होगा कि केजरीवाल के केन्द्रीय मंत्री किस तरह से इस इलाके में तानाशाही पर उतारू हैं. अपने ख़ास कुछ लोगों के लिए कपिल मिश्रा इस इलाके में काम कर रहे हैं. इनकी व्यस्तता का आलम यह है कि फोन करने पर इनके पास समय नहीं होता है और उसी पल यह मंत्री पतंग उड़ाते हुए जरुर दिख जाते हैं. मीडिया से बात करने के लिए ना तो मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास समय है और ना ही इनके मंत्रियों के पास समय है.
कल जिस तरह से दिल्ली के कुछ इलाकों में 12 घंटों से ज्यादा बिजली गुल रही है उसको देखकर लगने लगा है कि वाकई जो दिल्ली मेट्रो के आ जाने से विकसित हुई थी, वह इस आप सरकार के कार्यकाल में 90 के दशक की दिल्ली बन गयी है.
आश्चर्य तो इसमें है कि बिजली विभाग का कस्टमर केयर नम्बर भी 15 घंटों से ज्यादा बंद रहा है. शिकायत दर्ज तक कराने का अधिकार कल दिल्ली सरकार ने लोगों से छीन लिया था. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अभी तक अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया है जो उन्होंने चुनाव के समय किया था. आज दिल्ली के मंत्री जिनको दिल्ली में काम करना चाहिए वह पंजाब में पार्टी के लिए वोट मांग रहे हैं और गुजरात के दौरे कर सेल्फी ले रहे हैं लेकिन दिल्ली में बिजली और पानी के समस्या को देखने के लिए ना तो मुख्यमंत्री केजरीवाल और ना ही इनके अपने मंत्रियों पर समय है.
बीते दिन मात्र 24 घंटे की बारिश ने बता दिया है कि देश की राजधानी दिल्ली ही जब अपनी बदकिस्मती को रो रही है तो ऐसे में जिन राज्यों के मुख्यमंत्री बनने का सपना केजरीवाल देख रहे हैं उनका अंजाम क्या होने वाला है.
जहाँ एक तरफ कल दिल्ली के कई इलाके अँधेरे में डूबे हुए थे वहीँ दूसरी तरफ मुख्यमंत्री केजरीवाल अपने जश्न में डूबे हुए थे.
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