आज सुबह मैंने अरविंदजी को फोन किया और मिलने का समय मांगा, उन्होंने मेहरबानी की और तुरंत चाय पर घर बुलाया।
लोगों से घिरे अरविंदजी ने मुझसे बात शुरू की, मैंने भी तूरंत मुद्दे की शुरुआत की।
मैंने पूछा – अरविंदजी क्या बात है आज कल न कोई धरना, न अनशन, न कोई मुद्दा, न कोई चर्चा, क्या देश मे सब ठीक चल रहा है? क्या हमारे देश में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है?
अरविंदजी बोले – भाई अभी तो भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नही, अगले चुनाव तक इसपर कोई व्यापार नही। वैसे भी हमारी पार्टी मे फण्ड आना कम हो गया है इसका मतलब भ्रष्टाचार बंद हो गया है।
मुझे बात समझ नही आयी, फिर अरविंदजी ने समझाया भ्रष्टाचार 70 साल पुराना पेड़ है, और इस पेड़ पर फल केवल चुनाव में ही लगते है। जो राजनीतिक दल ज्यादा फल जनता को देता है वो चुनाव जीत जाता है। अभी तो आप यही समझो की हिंदुस्तान में भ्रष्टाचार बंद हो गया।
इतना कह कर अरविंदजी चले गए और देशवासियों को भ्रष्टाचार की सरल परिभाषा बता दी।
खंडन – यह एक काल्पनिक राजनीतिक व्यंग है जिसके माध्यम से लेखक ने अपनी संवेदना जाहिर की है।