केजरीवाल का तख्तापलट – आम आदमी पार्टी की राजनीति में अंदर अंदर ही बहुत कुछ ऐसा घट रहा है जिसकी पूरी खबर अभी बाहर नहीं आ रही है.
जो थोड़ी बहुत खबर अब सूत्रों के जरिए आ रही है उससे संकेत मिल रहे हैं कि आम आदमी पार्टी में अंदर ही अंदर अरविंद केजरीवाल का तख्ता पलटने की तैयारी चल रही थी.
इस तैयारी का असली सूत्रधार कौन है कहना अभी पूरी तरह से साफ नही है. लेकिन उसकी अगुवाई कपिल मिश्रा कर रहे थे इतना तो साफ हो चुका है.
दरअसल, सत्ता के गलियारों में ये अफवाह तेजी से फैल रही है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का तख्तापलट की जो तथाकथित तैयारी चल रही थी उसकी भनक केजरीवाल को लग चुकी थी.
केजरीवाल को फोन पर वह पूरी बात सुनवाई गई. कहा तो यहां तक जाता है कि केजरीवाल के सामने ही आम आदमी पार्टी के एक विधायक ने कुमार विश्वास को फोन लगाया था.
जिसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद सुना. इसमें विश्वास खुलासा करते हैं कि वह पार्टी प्रमुख के रूप में पदभार संभालने को तैयार है. इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक दावा किया कि उनके साथ कपिल मिश्रा के अलावा 33 अन्य विधायक और भी हैं.
इस खबर को सुनने के बाद केजरीवाल के पैरों के तले की जमीन खिसक गई. क्योंकि जितनी संख्या का कथित दावा किया जा रहा था वह पार्टी के कुल विधायकों के आधे से भी अधिक है.
बताया जाता है कि दिल्ली मे एमसीडी चुनावों में मिली हार के लिए पार्टी विधायकों का एक बड़ा वर्ग केजरीवाल के इर्द गिर्द जमा उन लोगों को जिम्मेंदार मान रहा है जो मोदी विरोध की नकारात्मक राजनीति के चक्कर में आम आदमी पार्टी का बेड़ा गर्क करने में तुले हुए हैं. इनमें वे लोग अधिक है जो बाद में पार्टी से जुड़े है.
वहीं केजरीवाल ने कपिल मिश्रा को इस घटना के सात दिन बाद मंत्री पद से हटा दिया. लेकिन उन्होंने कुमार विश्वास के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि कहा जाता है कि दोनों के बीच काफी पुराने पारिवारिक रिश्ते हैं और वह एक प्रसिद्ध नेता को बर्खास्त करने वाले के रूप में नहीं दिखना चाहते थे.
गौरतलब हो कि जब केजरीवाल का तख्तापलट के लिए तय की गई बैठक से ठीक पहले आप के विधायक अमानतुल्ला खान ने सार्वजनिक रूप से कुमार विश्वास पर भाजपा की शह पर पार्टी को तोड़ने के आरोप लगाए थे तो विश्वास ने अमानतुल्ला के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की थी.
तब केजरीवाल ने अमानतुल्ला खान को पार्टी के विभिन्न पदों से हटा दिया गया, लेकिन साथ ही उन्हें दिल्ली विधानसभा के कई कमेटियों में शामिल कर लिया गया. इसके केजरीवाल के प्रति वफादारी के एवज में क्षतिपूर्ति के रूप में देखा गया था.