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13 साल पहले जो उम्मीद खत्म हो गयी थी वो…

उम्मीद

क्या आप सोच सकते हैं कि गाजर किसी के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है ?

शायद बिल्कुल नहीं, क्योंकि गाजर का नाम सुनकर हमारे दिमाग में गाजर के पकवान ही पहले आते हैं। लेकिन विदेश की एक महिला के लिए गाजर उम्मीद बना है, जो उस महिला को पिछले 13 वर्षों के बाद हासिल हुई है।

असल में यह अजीबोगरीब वाकया, कनाडा की निवासी मैरी ग्रैम्स का है जिन्हें हाल ही में अपनी प्रिय वस्तु मिली है।

प्रिय इस वजह से कि उनके हसबैण्ड ने सगाई के वक्त डायमण्ड की रिंग पहनाई थी। मगर वह गार्डन में रोपाई के वक्त गुम गई। मैरी ने डायमण्ड रिंग को ढूंढने में अपनी पूरी कसर लगा दी। मगर रोज़ अंगूठी की तलाश में हताश होकर, मैरी ने रिंग के प्रति उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन वो कहते हैं न जिसे पूरे दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे मिलाने की कोशिश करती है।

तो फिर क्या, मैरी को अपनी बरसों पहले खोयी हुई अंगूठी कुछ ऐसे रोचक तरीके से मिल गई।

यह बात वर्ष 2004 की है जब वह सगाई के बाद गार्डन में काम करने के लिये गयी थी। मगर वहां काम करते वक्त अंगूठी गिर गई। मैरी ने अंगूठी को बहुत खोजा मगर वह नहीं मिली। इस घटना के बाद वह बहुत दुखी हो गई थी। जिस कारण उन्होंने अंगूठी मिलने की उम्मीद छोड़ दी थी।

मगर कई वर्षों के बाद जब वह अपनी बहू संग, गार्डन मे सब्जी लेने गई तो अंगूठी एक गाजर में फंसी हुई दिखी। इस पर मैरी को बेतहाशा खुशी मिली। हालांकि मैरी की यह खुशी को साझा करने के लिए उनके पति नहीं रहे। जिसके लिए मैरी को बेहद अफसोस है। मैरी को महज इस बाद का दुख नहीं कि उनके पति इस पल में उनके साथ नहीं है। बल्कि मैरी को यह गम भी है कि उन्होनें, सगाई के बाद अंगूठी गुम होने की बात किसी से नहीं कही थी।

जी हां, शर्मिंदगी से बचने के लिए मैरी ने इस घटना के बारे में अपने पति तक को यह नहीं बताया। साथ ही मैरी ने बाजार से सस्ती अंगूठी खरीदी, जो हू-ब-हू गुम हुई अंगूठी से मिलती-जुलती थी।

हालांकि उनके बेटे को इसके बारे में पता था। शायद उन्हें डर हो कि उनके पति कह न दें। लेकिन उन्हें अंगूठी मिलने के बाद ज्यादा अफसोस हो रहा है क्योंकि अंगूठी मिलने की खुशी वह अपने पति से बांट भी नहीं सकती।

गौरतलब है कि गाजर या अन्य खाद्य सामग्री से अंगूठी मिलने के यह वाकया पहला नहीं है। इससे पहले भी स्वीडन व दूसरे शहरों में रिंग ऐसे ही अजीब तरीके से मिली है।

जो यह सिद्ध करती है कि उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए ।

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