देशभर में भगवान शिव के वैसे तो अनगिनत मंदिर स्थित हैं लेकिन उनके 12 ज्योतिर्लिंगों की बात ही निराली है.
कहते हैं कि भोलेबाबा के इन ज्योतिर्लिंगों के स्मरण और दर्शन मात्र से व्यक्ति के समस्त पाप मिट जाते हैं.
भगवान शिव के इन बारह ज्योतिर्लिंगों में एक ऐसा भी शिव धाम है जो करीब 400 सालों तक बर्फ के भीतर दबा हुआ था. तो चलिए जानते हैं शिव के इस मशहूर धाम से जुड़े रोचक इतिहास के बारे में.
400 सालों तक बर्फ में दबा रहा केदारनाथ धाम
जियोलॉजिकल विभाग के वैज्ञानिकों के मुताबिक 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ केदारनाथ धाम करीब 400 साल तक बर्फ के अंदर दबा हुआ था. बर्फ में दबे रहने के बावजूद इस मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. लेकिन जब मदिर के ऊपर से बर्फ पीछे हटी तो इसके हटने के निशान मंदिर पर रह गए जो आज भी मौजूद हैं.
कहा जाता है कि 13वीं से 17वीं शताब्दी तक यानी करीब 400 साल तक एक छोटा हिमयुग आया था जिसमें हिमालय का एक बड़ा क्षेत्र बर्फ के अंदर दब गया था.
वैज्ञानिकों के अनुसार मंदिर की दीवार और पत्थरों पर आज भी इसके निशान हैं. मंदिर की दीवार और पत्थरों पर मौजूद ये निशान ग्लैशियर की रगड़ से बने हुए हैं.
कई चट्टानों को साथ लिए ये ग्लैशियर हमेशा ना सिर्फ खिसकते रहते हैं बल्कि इनका वजन भी बहुत ज्यादा होता है. जिसकी वजह से ग्लैशियर के रास्ते में आनेवाली हर चीज रगड़ खा जाती है.
पहाड़ों से घिरा है शिव का केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम तीन तरफ पहाड़ों से घिरा है. केदारनाथ धाम सिर्फ पहाड़ों से ही घिरा नहीं है बल्कि यहां पांच पवित्र नदियों का अद्भुत संगम भी देखने को मिलता है. इसी स्थान पर मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी का संगम होता है.
हालांकि इन नदियों में से कुछ का अब अस्तित्व नहीं रहा लेकिन अलकनंदा की सहायक नदी मंदाकिनी आज भी मौजूद है. यहां सर्दियों में भारी बर्फ और बारिश में लबालब पानी रहता है.
भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ धाम देवभूमि उत्तराखंड का सबसे विशाल मंदिर है. इस मंदिर को कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है.
भीषण तबाही की मार झेल चुका है ये धाम
16 जून साल 2013 को केदारनाथ में भीषण तबाही आई थी. इस प्राकृतिक आपदा में न जाने कितने ही मासूम लोग काल की गाल में समा गए थे. इस त्रासदी में केदारनाथ के आसपास का सबकुछ तबाह हो गया था लेकिन अगर कुछ बचा रह गया तो वो था सिर्फ मुख्य केदारनाथ मंदिर.
इस भंयकर त्रासदी के 4 साल बाद केदारनाथ धाम प्रधानमंत्री मोदी की वजह से एक बार फिर काफी सुर्खियों में है. पीएम मोदी ने बाबा केदारनाथ के दर्शन करने के साथ ही यहां 5 विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया. मोदी ने केदारपुरी में कई पुननिर्माण परियोजनाओं की आधारशिला रखी. जिसमें आदि गुरू शंकराचार्य की समाधि का नवीनकरण भी शामिल है.
आपको बता दें कि दिवाली के महापर्व के दूसरे दिन से 6 महीने के लिए केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और 6 महीने बाद मई महीने में जब केदारनाथ के कपाट खुलते हैं तब उत्तराखंड की यात्रा आरंभ होती है.
ये है केदारनाथ धाम जो छोटे हिमयुग के दौरान 400 साल तक बर्फ में दबे रहने और साल 2013 में आई प्राकृतिक आपदा को झेलने के बाद भी यह धाम सुरक्षित है और सदियों तक यह धाम ऐसे ही सुरक्षित रहेगा क्योंकि इस मंदिर के स्वामी तो स्वयं महाकाल हैं जिनका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता.