भारत ही नहीं दुनिया में रहने वाले आस्थावान हिंदू को जब पाकिस्तान के इस मंदिर के बारे पता चलता है तो वह एक बार इसके दर्शन जरूर करना चाहता है.
पाकिस्तान में स्थित इस मंदिर को शक्तिपीठ देवी हिंगलाज के नाम से जाना जाता है. लेकिन शक्तिपीठ के अलावा वहां पर एक प्राचीन शिवलिंग भी स्थित है.
इस शिवलिंग के विषय में माना जाता है कि यह आदि काल से यहां स्थित है.
बताया गया है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की और तब जाकर शिव जी ने पार्वती से विवाह किया था.
लेकिन पार्वती से विवाह करने से पूर्व भगवान शिव का विवाह देवी सती से हो चुका था. लेकिन देवी सती ने अपने पिता के यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया था. इसके बाद देवी सती के अंगों से भारत और पड़ोसी देशों में जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है शक्तिपीठ बने.
इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि पाण्डव जब राजपाट जुए में हारकर वन-वन भटक रहे थे तब वह इस स्थान पर भी आए थे और 4 साल तक यहां रहकर इस शिवलिंग की उन्होंने पूजा की थी.
जिस मंदिर में यह शिवलिंग स्थित है उसे कटासराज मंदिर के नाम से जाना जाता है. कटासराज मंदिर के पास एक सरोवर है जिसे बड़ा ही पवित्र माना जाता है.
यह सरोवर कैसे बना इसको लेकर बताया जाता है कि कटासराज मंदिर का सरोवर उस समय बना, जब देवी सती ने आत्मदाह किया था. देवी सती के आत्मदाह की खबर सुनकर भगवान शिव बहुत दुःखी हो गए थे और उनकी आंखों से दो बूंद आंसू गिरे थे. एक आंसू कटासराज में और दूसरा पुष्कर तीर्थ में गिरा था.
भगवान शिव की आंखों से गिरे आंसू से यह सरोवर बन गया.
इस सरोवर की खास बात यह है कि इसका पानी दो रंग का है. जहां सरोवर का पानी हरा है वहां सरोवर की गहराई कम है और जहां सरोवर का पानी बहुत गहरा है वहां का पानी गहरा नीला है.
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