शनि देव का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते है.
हर शनिवार शनि देव पर तेल चढ़ाने वालों की कतार लगी रहती है. शायद ही कोई और देवता होगा जिससे आम जन इतने अधिक डरते है.
शनि का ही प्रकोप था जो बाल गणेश का सर कट गया था, शनि की दृष्टि से ही राम को वनवास मिला था. इन सब घटनाओं से ही पता चलता है कि शनि कितनी जल्दी कुपित होते है और उनके कोप से भगवान् भी नहीं बच सकते.
लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखी कथा बताएँगे जिसमे शक्तिशाली शनि देव को भी डर कर नारी रूप धरना पड़ा था.
ये कथा है हनुमान और शनि देव की. वैसे तो हमारे ग्रंथों में हनुमान जी और शनिदेव के बारे में बहुत सी कथाएं है.
ये भी कहा जाता है कि हनुमान के भक्तों पर शनि का कोप नहीं होता है. हनुमान जी के आगे शनि की एक नहीं चलती.
शनि पर तेल चढाने के पीछे भी कहा जाता है कि एक बार हनुमान जी और शनि देव में युद्ध हुआ और उस युद्ध में हनुमान जी ने शनि देव को छठी का दूध याद दिला दिया. इसके बाद से ही शनि देव पर तेल चढ़ाया जाने लगा.
लेकिन आज हम यहाँ बात कर रहे है गुजरात में स्थित हनुमान जी के एक ऐसे मंदिर की जहाँ शनि देव हनुमान जी के चरणों में बैठे है और वो भी स्त्री का रूप लेकर.
गुजरात के भावनगर में स्थित सारंगपुर गाँव में हनुमान का एक प्राचीन मंदिर है. कथाओं के अनुसार एक बार धरती पर शनि देव का कोप बहुत बढ़ गया. शनि की दृष्टि से सभी मानव और देव त्रस्त हो गए थे. ऐसे में सभी लोगों ने निर्णय लिया कि शनि के कोप से केवल हनुमा ही रक्षा कर सकते है.
जब हनुमान को ये बात पता चली कि सहनी उनके भक्तों को परेशान कर रहे है तो हनुमान बहुत ही क्रोधित हुए.
क्रोध में वो अपनी गदा लेकर शनि को अपने भक्तों को परेशान करने की सजा देने के लिए निकले. जब शनि देव को पता चला कि हनुमान क्रोध में लाल पीले होकर उनके ही पीछे आ रहे है तो शनिदेव डर गए. उन्हें पता था की हनुमान से उनकी रक्षा कोई नहीं कर सकता. हनुमान के क्रोध से बचने का एक ही उपाय है स्त्री रूप धारण कर लेना.
क्योंकि हनुमान बाल ब्रह्मचारी है और वो ना कभी किसी स्त्री पर हाथ उठाते थे और ना ही किसी स्त्री के साथ बुरा बर्ताव करते थे.
ये सोचकर शनि देव ने हनुमान से बचने के लिए स्त्री रूप ले लिया और उनके चरणों में शरण मांगी.
हनुमान जी जान गए थे कि ये नारी रूप में शनि देव ही है लेकिन हनुमान नारी पर हाथ नहीं उठाते थे इसलिए उन्होंने नारी रुपी शनि देव को क्षमा कर दिया. इसके बाद शनि ने हनुमान के भक्तों पर से अपना कोप हटा लिया और नारी रूप में हनुमान जी के चरणों में रहने का प्रण लिया.
गुजरात के इस हनुमान मंदिर को कश्त्भंजन हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने वाले हनुमान भक्त पर शनि का कोप नहीं होता है.