जानिए अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाने वाले कश्मीरी आतंकी क्यों स्कूलों में आग लगा रहे है.
सरकार की सख्ती से परेशान अलगवादी और आतंकवादियों ने अब घाटी में स्कूलों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है.
कश्मीर के वे अलगाववादी जिनके खुद के बच्चे घाटी के बाहर देश विदेश में मंहगे स्कूलों पढ़ते हैं लेकिन उनकी मंशा हैं कि कश्मीर के आम आवाम के बच्चों के हाथों में किताबों की जगह पत्थर और बंदूके होनी चाहिए.
हाल में घाटी में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में आग लगाने की घटनाओं में तेजी आई है. आतंकियों के इशारे पर नकाबपोश लोग रोज किसी न किसी स्कूल में आग लगा रहे हैं. ये लोग हाथ में पेट्रौल लेकर स्कूल पहुंचते हैं और इमारत में आग लगाकर वहां से भाग जाते हैं. अभी तक 23 स्कूलों को अग्नि भेंट किया जा चुका है, जिनमें से 17 सरकारी और 3 प्राइवेट स्कूल पूर्णतरू नष्ट हो गए हैं.
अलगावादियों की धमकी के कारण विगत 3 माह से कश्मीर घाटी के सभी स्कूल काॅलेज बदं है और लगभग 20 लाख बच्चे पढने नहीं जा रहे. जिन इलाकों में शांति है और स्कूल खुल रहे हैं वहां अलगाववादी धमकी देकर उन्हें बंद करा रहे हैं. जो लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं उन स्कूलों में आग लगा दी जाती है.
बताया जाता है कि एक स्कूल के प्रिंसीपल अब्दुल रशीद द्वारा अपने स्कूल में पढ़ाई शुरू करवाने की कोशिश करने पर उपद्रवियों ने पीट-पीट कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया.
आपको बता दे कि जिस प्रकार इस्लामी कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में स्कूलों में आग लगाकर उन्हें तबाह कर दिया ठीक उसी प्रकार कश्मीर घाटी में भी शिक्षा संस्थानों को बंद रख कर और उनमें आग लगा कर बच्चों की पढ़ाई ठप्प रखने की कोशिश की जा रही है.
दरअसल, पिछले काफी समय से केंद्र सरकार घाटी के बच्चों पर अलगाववादियों का प्रभाव न पड़े इस कारण वह काफी संख्या में वहां के बच्चों को स्काॅलरशिप पर देश के अन्य राज्यों में रह कर उनकी शिक्षा पूरी करा रही है. वहां जब ये बच्चे जाते हैं तो देखते हैं कि कश्मीर को अलगावादियों ने अपनी जिद के कारण नरक बनाया हुआ है.
अलगावादी सरकार की नीति से डरे हुए हैं. उनको लगता है कि जिस प्रकार घाटी में खराब हालात के कारण माता पिता अपने बच्चों को बाहर भेज रहे हैं वे कहीं वहां जाकर राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल हो गए तो उनके एजेंडे पर ही पानी फिर जाएगा.
यही वजह है कि वे घाटी में स्कूलों को ठप्प कर उनकी पढ़ाई बीच मे रोकने का घिनौना खेल खेल रहे हैं. ताकि वे परीक्षा न दे पाए. क्योंकि यदि वे परीक्षा नहीं दे पाए तो उनको देश के अन्य स्कूलों में दाखिला ही नहीं मिलेगा और उनको मजबूरन घाटी में ही रहना पडे़गा.
उल्लेखनीय है कि स्कूलों पर सभी हमले योजनाबद्ध तरीके से एक जैसी शैली में और रात के समय ही किए जा रहे हैं.
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