कश्मीर में आतंकी हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के पिता जो काम नहीं कर पाए उसे एक मां ने कर दिखाया।
इस मां ने सेना के कहने पर अपने आतंकी बेटे से भावुक अपील कर उसको आत्मसमर्पण के लिए तैयार कर लिया।
आपको ज्ञात होगा कि कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी के पिता से भी लोगों और पुलिस ने अपील की थी कि वे अपने बेटे से बात कर उसको आतंक का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के लिए बातचीत कर उसे आत्मसमर्पण के लिए तैयार करे। लेकिन आतंकी बुरहान के पिता मुजफ्फर वानी ने इस्लाम और कुरान का हवाला देकर ऐसा करने से मना कर दिया था।
लेकिन बुरहान के विपरीत आतंकी उमर खालिक मीर उर्फ ‘समीर’ के माता पिता ने ऐसा नहीं किया.
उन्होंने सेना और पुलिस की बात मानकर अपने बेटे से बातकर उसे मूबरहान वानी की मौत मरने से न केवल बचा लिया बल्कि आतंक की राह पर चले गए अन्य युवाओं को भी वापस लौटने का विकल्प दे दिया।
दरअसल, हुआ कुछ यूं कि यह कश्मीर के सोपोर का उमर खालिक मीर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया था। खुफिया विभाग को खबर मिली कि सोपोर के एक मकान में आतंकवादी छिपा है तो सेना और पुलिस ने मकान की घेराबंदी कर ली।
लेकिन जैसे ही यह पता चला कि मकान में छिपा आतंकी उत्तरी कश्मीर में तुज्जार का रहने वाला है तो सेना और पुलिस के अधिकारियों ने उसे बाहर आकर समर्पण करने की अपील की। लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ। आतंकी बने युवक पर बाहर निकालने की अपील कोई असर नहीं हुआ तो सेना और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक अंतिम दाव चला जो निशाने पर लगा। उन्होंने आतंकी के माता-पिता के पास पुलिस को भेजकर सारी स्थिति से अवगत कराया और कहा कि यदि आप प्रयास करें तो आपके बेटे की जान बच सकती है।
जिस स्थान पर आतंकी छिपा था वहां से उसके माता पिता का मकान पांच किलोमीटर दूर था।
उसकी मां राजी हो गईं और उस जगह पर आईं, जहां युवक छिपा था। वहां पहुंचकर उसकी मां ने उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा। मां की भावुक अपील पर आतंकी बेटे का दिल पिघल गया और उसने आत्मसमर्पण कर दिया। बताया जाता है कि मां ने बेटे को अपनी कसम दी क्योंकि सेना ने उन्हें आश्वासन दिया था कि युवक के आत्मसमर्पण करने पर वे उनके बेटे के साथ नरम रुख अपनाएंगे।
इस घटना के बाद उन आलोचकों का भी मुंह बंद हो गया जो कहते थे कि सेना कश्मीर में केवल बेगुनाह युवकों का खून बहाती है। यह घटना सोपोर के आंचलिक इलाके की है। सेना ने अन्य सुरक्षा एजेंसियों की मदद से इलाके की घेराबंदी की थी। वह अगर कश्मीर के लोगों की ख्ूान की प्यासी होती तो उसका भी बुरहान वानी की तरह एनकांउटर कर देती। लेकिन उसने हर बार की तरह इस बार भी आतंकी को आत्मसर्मपण का मौका दिया।
सेना और पुलिस के लिए यह कदम कितना जोखिम भरा था इसका अंदाजा लगाना भी कठिन है। क्योंकि सेना ने एक महिला को भले ही वह उसकी मां थी, को आतंकी के समक्ष भेजा था। वहां कुछ भी हो सकता था। सेना भले ही उस आतंकी मां को सुरक्षा कवर दे रही थी लेकिन वहां सेना की प्रतिष्ठा के साथ उस एक महिला की सुरक्षा भी दांव पर लगी हुई थी, जो अपने बेटे के लिए अपनी जान भी जोखिम में डाल रही थी।
बहरहाल, मां को उस मकान के भीतर जाने और उसे अपने बेटे को आत्मसमर्पण के लिए राजी करने की अनुमति देना काम आया। मां की मान-मनौव्वल के बाद मीर मकान से बाहर आया और उसने सेना के जवानों को एक एके राइफल, तीन मैगजीन, तीन हथगोले और एक रेडियो सेट सौंपा। गौरतलब है कि 26 वर्षीय मीर इस साल मई से लापता था और वह लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया था।
भारतीय सेना स्थानीय लोगों की मदद से पाकिस्तान परस्त आतंकियों के बहकावे में आये युवाओं का एनकाउंटर करने के बजाय उनको फिर से देश की मुख्य धारा से जोड़ने और अमन के रास्ते पर लाने का अभियान चला रही है।
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