राजनीति

कश्मीर किसकी जन्नत है !

कश्मीर के हालात – कहते है धरती पर कही स्वर्ग है तो वो कश्मीर में है ।

लेकिन  ये जन्नत किसी की है यहाँ रह रहे लोगो की या फिर इस पर हक जताने वाले देशों की या फिर उन आंतकवादियो की जो इसकी गोद में बैठकर इसी को तबाह कर रहे ।

जन्नत कहा जाने  शाला कश्मीर आजादी के बाद से ही धीरे धीरे  चरमपंथियों का अड्डा बनता  गया ।

1990 में मुस्लिमों दारा कश्मीरी पंडितों को उनके घर से खदेङ कर भागने के बाद यहां की स्थिति और खराब होती चली गई। घाटी के कई युवा लङको का ब्रैन वाॅस करके या फिर जबरन उन्हे आतंकवादी बने पर मजबूर कर दिया गया । ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि दो देशों की लङाई इस जगह रहने वाले लोग पीसे । बंटवारे के बाद पाकिस्तान की कश्मीर को लेकर जिद्द ने यहां खे लोगो की जिंदगी नरक बना दी और जन्नत को चरमपंथियों का अड्डा । जिसकी सबसे बङी लहर तब देखने को मिली जब आतंकवादी बुरहान वानी की मौत पर हजारों लोग उसके जैनाजे में शामिल हुए । हालांकि कुछ वक्त पहले से जम्मू कश्मीर से कुछ अच्छी खबर आई जब दो आंतकवादी लङको ने सरेंडर कर अपने घर वापस लौटने की इच्छा जताई ।

पर क्या सच में बदलाव आ रहा है या फिर अभी बहुत कुछ होना बाकी है ।

कश्भीर घाटी में एक छोटा सा लेकिन बेहद खूबसूरत शहर हाजिन, जहां पाकिस्तान से आए  चरमपंथियों का   डेरा  बना हुआ । लेकिन सवाल ये है कि ये शहर आतंकियों का डेरा कैसे बना । दरअसल यहां का लोगो कहना है कि दोषी न होते हुए भी सुरक्षा  बल और सेना आकर अक्सर उनके घर की तलाशी लेते हैं गाडियों की छानबीन करते है जिस वजह से उन्हें चरमपंथियों से ज्यादा नफरत सुरक्षा बल से  ।

कश्मीर के हालात ये है कि यहां के लोग भी काफी लंबे वक्त से इस यातना को झेल रहे है । जिस  वजह से इन्होंने अपनो के खिलाफ ही अपने मन में हीन भावना रखनी शुरु कर कर दी जिसका फायदा मिला उन चरमपंथियों को जो बाॅर्डर पार करके यहां आते हैं । जिसके लिए उन्हें यहां  के किसी इंसान की जरुरत पङती है । उन चरमपंथियों ने इन लोगों की इस पीढा को इस्तेमाल करके यहा डेरा जमाया हुआ है ।

हालांकि ऐसा नही है कि यहाँ रह रहे सब लोग इन चरमपंथियों का समर्थन करते हैं। बल्कि ज्यादातर लोख ऐसे है जो इन चरमपंथियों और सुरक्षा बलों के बीच पीस रहे हैं क्योंकि वो न तो आतंकवादियो के खिलाफ मुंह खोल सकते है न ही सुरक्षा बलों के लगाए इल्जामो से बच सकते है । यहां के लोग की बङी परेशानी ये है कि सेना सुरक्षा  बल आए दिन इस शहर की घेराबंदी करती है दूसरी तरफ यहां आतंकवादी अपना डेरा डाल लेते है । जिस वजह से ये अपनी लाइफ सुचारु से नही चला पाते । यहां आए दिन सेना और आंतकवादियो के बीच मुठभेड होती है जिसमें कई बार सेना के सिपाही और आंतकवादियो के साथ स्थानीय लोग भी मुठभेङ का शिकार हो जाते है ।

वैसे आपको बता दें कश्भीर का ये हाजिन शहर जो आंतवादियो का अड्डा बना हुआ है एक जमाने में हिंदुस्तानी चरमपंथियों का इलाका हुआ करता था लेकिन 1990 के बाद यहां काफी बदलाव आए ।

कश्मीर के हालात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि लोगों को कश्मीर की आजादी के लिए भङकाने वालेआलगवादी सुमदाय यहां लोगो के दुःखो पर अपनी राजनीति की रोटियां  सेक रहे है ।

कश्मीर के हालात में सुधार कोई ला सकता सिवाय यहां रह रहे लोगो के। क्योंकि इस जन्नत की रखवाली ये लोग कर रहे हैं जब तक ये सही और गलत में फैसला करना नही समझेंगे तब तक शायद ये इसी तरह पीसते रहेंगे।

Preeti Rajput

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