काशी विश्वनाथ, भारत में हिन्दुओं का सबसे प्रसिद्ध मंदिर.
काशी की पहचान है विश्वनाथ. बनारस या वाराणसी में स्थित ये शिव मंदिर हिन्दुओं का सबसे पवित्र और श्रेष्ठ मंदिर माना जाता है. काशी विश्वनाथ की गिनती भी द्वादश ज्योतिर्लिंगों में होती है.
पवित्र गंगा नदी के किनारे बसा बनारस विश्व के सबसे पुराने शहरों में से एक है और साथ ही साथ ये शहर भारत की सांस्कृतिक राजधानी भी कहलाता है. काशी विश्वनाथ के दर्शन मात्र से ही सब पाप धुल जाते है. मंदिर प्रांगण में घुसते ही अद्भुत शांति का अहसास होता है. गुरु नानक, शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती और तुलसीदास जैसे महान संत और महापुरुषों ने काशी विश्वनाथ के दर्शन किये थे.
मंदिर का इतिहास एवं वर्तमान स्थिति
काशी विश्वनाथ का वर्तमान स्वरूप इंदौर की रानी अहिल्या बाई होल्कर की देन है. 1780 में होल्कर ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था. दोनों गुम्बदों पर सोने की परत महाराजा रणजीत सिंह द्वारा चढ़वाई गयी थी.
काशी विश्वनाथ के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का कभी लोप नहीं होता है. प्रलय के समय भी भोलेनाथ इसे अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते है. काशी को ही सृष्टि की उत्पति की नगरी माना गया है.
ऐसा कहा जाता है कि काशी में प्राण त्यागने वाला जन्म मृत्यु के फेरे से दूर हो जाता है. स्वयं महादेव मरने वाले प्राणी के कानों में तर्क मंत्र बोलते है.
काशी विश्वनाथ ना सिर्फ सबसे प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है बल्कि हिन्दू मतावलम्बियों के लिए सबसे अधिक मान्यता प्राप्त मंदिर है. इस्लाम में जिस तरह काबा है वैसे ही हिन्दू धर्म में काशी है.
यहाँ के शिवमंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग को विश्वनाथ और विश्वेश्वर भी कहते है. विश्वेश्वर के आस पास पांच और तीर्थ है. जिनके नाम है दशाश्वेमघ, लोलार्ककुण्ड, बिन्दुमाधव, केशव और मणिकर्णिका.
काशी विश्वनाथ के प्रांगण में छोटे बड़े कई मंदिर है. शिवलिंग के पास ही एक छोटा कुआँ है जिसे ज्ञान वापी कहा जाता है. बताया जाता है जब मंदिर पर आक्रमण हुआ तब मंदिर के पुजारी शिवलिंग को बचने के लिए शिवलिंग को लेकर इस कुँए में कूद गए थे.
काशी विश्वनाथ के बारे में स्कन्द पुराण में भी लिखा गया है. 11वीं सदी में मुस्लिम राजाओं द्वारा पहली बार इस मंदिर को ध्वस्त किया गया. अकबर के शासन काल में पहले राज मानसिंह और बाद में टोडरमल ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया. उसके बाद औरंगजेब ने मंदिर की जगह मस्जिद बनवाई, आज भी पुराने मंदिर के अवशेष मस्जिद के पीछे की तरफ दिखते है.
भारत की सबसे प्राचीन और रंग बिरंगी नगरी है काशी और काशी की पहचान है विश्वनाथ. अलग अलग प्रयासों के बाद भी कभी भी कोई शासक असली मंदिर के स्थान पर मंदिर बनाने में सफल नहीं हो सका आज भी वहा मस्जिद खड़ी है जिसे ज्ञानवानी कहा जाता है.
उसके नजदीक स्थित है अहिल्या बाई होल्कार द्वारा निर्मित काशी विश्वनाथ का मंदिर. इस शिवलिंग के बारे में कहा जाता है की इसकी स्थापना स्वयं शंकराचार्य ने की थी.
हर साल लाखों की संख्या में हिन्दू श्रद्धालु और विदेशी पर्यटक काशी विश्वनाथ के दर्शन करने आते है. आम दिनों में ये संख्या करीब 3000 प्रति दिन होती है जबकि विशेष अवसरों पर करीब एक लाख दर्शनार्थी भी जुट जाते है.
इसीलिए काशी विश्वनाथ बनारस की ही नहीं पूरे भारत की शान है.
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